सुरभि न्यूज ब्यूरो
कुल्लू, 04 अगस्त
रंगमंच के क्षेत्र में दो दशकों से सक्रिय संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन ने ‘रंगमंच एवं सिनेमा में करियर की संभावनाएं’ विषय पर आधारित एक ज़िला स्तरीय सेमिनार का आयोजन कुल्लू के शमशी स्थित विंग्स स्टुडियो में किया।
इस गोष्ठी में ज़िला के 45 बाल, युवा व वरिष्ठ रंगकर्मियों ने भाग लिया। प्रदेश के जाने माने रंगकर्मी केहर सिंह ठाकुर ने इस विषय पर अपना वक्तव्य रखा और उसके बाद इस क्षेत्र में अपना भविष्य तलाशने की योजना लिए बाल व युवा रंगकर्मियों ने अपने अपने प्रश्न उनके सामने रखे।
इन प्रश्नों के उत्तर में केहर ने सिलसिलेबार उनकी शंकाओं का निवारण करते हुए बताया कि कैसे शौक – शौक में या दोस्तों की देखा देखी में नाटक करने आया एक युवा या बाल कलाकार एक शौकिया रंगकर्मी में तबदील हो जाता है और फिर धीरे धीरे वह अपना भविष्य व्यावसायिक रूप से उसी क्षेत्र में तलाषने लगता है।
फिर रंगमंच में संसाधनों के अभाव में अधिकतर रंगकर्मी फिल्मों ओर मुड़ जाते हैं और कुछ एक जनून के साथ रंगमंच में ही डटे रहते हैं और उसी में अपने जीविकोपार्जन का प्रबन्ध कर लेते हैं। लेकिन रंगमंच मूल में रहता ही है और रंगमंच से फिल्मों में गया कलाकार कहीं मात नहीं खाता।
यह सिलसिला स्कूल या कॉलेजों के यूथ फैस्टीवलों से आरम्भ होता है और अपने अपने इलाके के शौकिया नाट्य दलों से होकर गुज़रते हुए कभी कभी ड्रामा स्कूलों या युनीवर्सिटी के थिएटर डिपार्टमेन्टों से पढाई के बाद एक पेशेवर रंगकर्मी या पेशेवर फिल्म अभिनेता के रूप में आकर प्रकट होता है।
उक्त गोष्ठी में भारत में रंगमंच तथा सिनेमा की पढाई करवाने वाले सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों की भी विस्तार से चर्चा की गई। इस सत्र में पूर्णकालिक रूप से रंगमंच से जुड़े मीनाक्षी, जीवानन्द, रेवत राम विक्की तथा परमानन्द आदि कलाकारों ने भी अपने अपने विचार रखे।
इसके अलावा पायल, आंचल, सूरज, पूजा, अनामिका, वंशिका, सिमरन, भारती, तन्वी, नितिन, नितेश, दिनेश, नीरज, अनुराग, अभिमन्यु, प्रणव, खुशी, यक्षिता, तनु, मानवी, तब्बसुम, अनोखा, राधिका, तानिया, हिमांषु, कृश, खेमराज, गौरव, सागर, अल्तमास, पारस, रिहान, परी तथा राज आदि युवा व बाल रंगकर्मियों ने परिचर्चा में बढ-चढ कर हिस्सा लिया।