किसान व बागवान प्राकृतिक खेती की तरफ हो रहे है अग्रसर, कमा रहे अच्छा आर्थिक लाभ

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सुरभि न्यूज़ ब्युरो
कुल्लू, 05 अगस्त
किसानों व बागवानों द्वारा अधिक मात्रा में फसल पैदा करके अधिक आर्थिक लाभ के चक्कर में सब्जियों एवं खाद्यान्न में रसायनों का प्रयोग कर रहे है, जिसके चलते कैंसर, टीवी, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों का भी प्रकोप बढ़ रहा है।
रसायनों के अधिक प्रयोग के दुष्प्रभावों को देखते हुए आज प्राकृतिक कृषि एवं बागवानी की बहुत अधिक आवश्यकता मसूसस की जा रही है। सरकार ने जहां प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई हैं वहीँ पर जिला कुल्लू की कृषक महिलाएं प्राकृतिक कृषि की तकनीक अपना कर न केवल जहर मुक्त खेती- बागवानी की तरफ कदम बढ़ा रही हैं बल्कि बाजार में इसकी बढ़ती मांग को पूरा कर अच्छी आमदनी भी कमा रही है।
नग्गर ब्लॉक की एक ऐसी महिला बागबान प्रोमिला शर्मा ने प्राकृतिक खेती द्वारा अपने खेतों में उत्पादन करके एक नई मिसाल कायम की है। प्रोमिला का कहना है कि वे 2 साल से प्राकृतिक खेती कर रही हैं तथा विभाग की सहायता लेकर गोबर व गोमूत्र से वे स्वयं ही जीवामृत तथा वीजामृत इत्यादि बनाते हैं तथा उनका प्रयोग करते हैं। सभी घटकों जीवामृत, घन जीवामृत व ब्रह्मास्त्र का प्रयोग प्राकृतिक रूप से कृषि उत्पादन करने के लिए कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें सरकार की तरफ से सब्सिडी भी दी जा रही है।
उन्होंने अपने खेत में एम -9 पर सेब गाला की विभिन्न किस्में लगा रखी हैं। जिन पर वे प्राकृतिक रूप से बागवानी कर रही हैं। सेब के बीच में ही उन्होंने अपने खेत में सरसों, मेथी, धनिया, पालक, मटर इत्यादि की खेती कर रही हैं।
एक अन्य कृषक देवेंदर शर्मा ने भी कृषि बागवानी प्राकृतिक रूप से शुरू की है जिसमें रसायनों का प्रयोग नहीं होता है। इससे प्राकृतिक उत्पाद जो बाजार में जाता है उससे काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं तथा जहर मुक्त कृषि उत्पादन से स्वस्थ जीवन शैली की ओर बढ़ रहे हैं। इसके उन्हें बहुत बढ़िया परिणाम सामने आए है। उन्होंने प्रशिक्षण ग्रहण करने पश्चात उन्होंने प्राकृतिक खेती आरंभ की है। यह सेब की बागवानी में भी प्राकृतिक कृषि की तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। उन्होने जीवामृत का अपना एक बड़ा टैंक तैयार कर रखा है जिससे वे आसानी से पाइपों के माध्यम से निकाल कर प्रयोग करते हैं। इस लिऐ विभाग की ओर से  उन्हें अनुदान एवं प्रशिक्षण इत्यादि के रूप में भी सहायता मिली है।

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