सुरभि न्यूज़
जितेंद्र गुप्ता, आनी
किसी भी मंजिल को हासिल करने के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा व हौसले बुंलन्द होने चाहिए, मंजिल कुदम खुद कदमो को चूम लेती है। कुछ ऐसा ही जज्बा साथ लेकर
चले है कुल्लू जिला के आनी तहसील के छोटे से गांव कोठी के 31 वर्षीय अंकुश कटोच अपनी मंजिल की औए अग्रसर है।
लड़कियों की नेशनल वॉलीबाल टीम के कोच सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दे चुके अंकुश कटोच को लुप्त होते भारतीय वॉलीबाल खेल को एक बार फिर से बुलंदियों पर ले जाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
वर्तमान में स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के नेता जी सुभाष चन्द्र बोस हाई एल्टीट्यूड कोचिंग सेंटर शिलारू में ओलिम्पिक के सम्भावित राष्ट्रीय खिलाड़ियों की ट्रेनिंग के इंचार्ज के तौर ओर सेवाएं दे रहे अंकुश कटोच को स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया द्वारा भारतीय वॉलीबॉल का हाई परफॉर्मेंस मैनेजर नियुक्त किया गया है।
इस पद पर तैनात होने वाले अंकुश कटोच हिमाचल के पहले व्यक्ति हैं।
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अंकुश कटोच ने बताया कि हाई परफॉर्मेंस मैनेजर के तौर पर नियुक्त होने के बाद उनका काम पूरे देश मे वॉलीबॉल खेल पर नजर रखना, पूरे भारत मे कितने केंद्र हैं या होने चाहिए, कैसे ट्रेनिंग दी जानी चाहिए, कैसे इंडक्शन की जाएगी, टीम को किस किस आधार पर चयनित किया जाएगा वगैरह वगैरह रहेगा। उन्होंने बताया कि वॉलीबाल खेल को 2032 और 2036 के ओलिम्पिक खेलों तक मैडल जितने के काबिल बनाना उनका लक्ष्य रहेगा।
उनकी इस नियुक्ति से न केवल आनी क्षेत्र बल्कि पूरे हिमाचल के नाम रोशन हुआ है।
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आपको बता दें कि अंकुश कटोच ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से बीपीएड के 2015 बैच के गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं।
जबकि एनएसएनआइस के 2016 बैच के टॉपर भी रहे हैं।
वहीं 2022 में ईरान में हुई कबड्डी की वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारतीय टीम के हिस्सा भी रहे है । जिसमे भारत ने स्वर्ण पदक हासिल किया था।
अंकुश कटोच बताते हैं कि उन्हें इंडियन हॉकी टीम के मनौवैज्ञानिक कोच मृणाल सर के साथ कुछ समय बिताने का अवसर प्राप्त हुआ।
जिनके विचारों ने अंकुश कटोच के जीवन की दिशा ही बदल डाला।
जिसके बाद अंकुश कटोच ने पीछे मुड़कर न देखा और अपनी कड़ी मेहनत के बूते स्पोर्ट्स कोचिंग के डिप्लोमा में अपने विशेष खेल वॉलीबॉल सहित अन्य तीन स्पोर्ट्स साइंस विषयों में पूरे भारत मे पहला स्थान हासिल कर एक बार फिर गोल्ड मैडल जीता। इतना ही नहीं अंकुश कातोच ने अब तक हाईएस्ट परसेंटेज का भी रिकॉर्ड बनाया।
अंकुश कटोच ने इस उपलब्धि के लिए अपने माता पिता,गुरुजनों के अलावा हर उस व्यक्ति को जिम्मेवार ठहराया है जिसने भी उसके जज्बे,उसके अंदर की छुपी हुई प्रतिभा को समझा और लक्ष्य पाने में उसका मार्गदर्शन किया।