सुरभि न्यूज़
खुशी राम ठाकुर, बरोट
जिला की छोटाभंगाल व जिला मंडी की चौहार घाटी में प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी सायर का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। 15 सितम्बर से आरम्भ होने वाला यह त्यौहार दुर्गम गाँवों में तीन से चार दिन तक मनाया जाएगा।
चौहार घाटी की 80 वर्षीय बुजूर्ग महिला बंगालन देवी और 78 वर्षीय बुजूर्ग भैरू राम का कहना है कि सायर के इस त्यौहार में गाँवों के लोग सदियों से ही मनाते आ रहे हैं।
15 सितम्बर से शाम को लोग अपने घरों में तरह–तरह के पकवान बनाकर उनका स्वाद चखेंगे वहीँ 16 सितम्बर की सुबह चौहार घाटी के छोटे से लेकर सभी बड़े लोग नए परिधानों में सज- धज कर अपने हाथों में द्रुब लेकर पूरे गाँव में जाकर अपनों से सभी उम्र से बड़े सगे संबधियों को द्रुब बाँट कर उनसे आशिर्बाद प्राप्त करेंगे।
उसके बदले बड़े लोग बच्चों तथा अपनों से छोटे रिश्तेदारों को मिठाइयों के साथ पैसे तथा अखरोट आदि देकर सायर त्यौहार की शुभकामनाएं देंगे। यह सिलसिला तीन से चार दिन तक चलता रहेगा।
मगर छोटाभंगाल में चौहार घाटी की अपेक्षा सायर का त्यौहार मनाने का रिवाज़ कुछ हटकर होता है। इस घाटी के लोग सायर का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। यहाँ द्रुब आदि को नहीं बांटते हैं उसके बदले सायर की सक्रांति को मात्र अपनों से बड़ों के पैर छूते हैं और उनसे आशिर्बाद प्राप्त करते हैं तथा एक दूसरे को सायर उत्सव की शुमकमनाएं भी देते हैं।
दोनों घाटियों के लोग खासकर दुर्गम गाँवों में लोग सायर के इस त्यौहार को लेकर काफी उत्साहित है। सायर के त्यौहार के दौरान दुर्गम गाँवों में खूब मेहनमान नबाजी भी खूब चलती है | सायर के त्यौहार को लेकर वर्षा ऋतू की समाप्ति तथा सर्द ऋतू के आगमन का त्यौहार भी कहते हैं।