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सुरभि न्यूज
छविंद्र शर्मा, आनी
आनी के रानी बेहडा मेला मैदान में शुक्रबार से शुरू हुई श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के दूसरे दिन शनिवार को वृंदावन से पधारे कथा वाचक व्यास आचार्य भास्कर श्री कृष्ण चन्द शास्त्री ठाकुर जी ने राजा परीक्षित संवाद, शुकदेव जन्म सहित अन्य प्रसंग सुनाया।
कथावाचक जी ने शुकदेव परीक्षित संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि एक बार परीक्षित महाराज वन में चले गए। उनको प्यास लगी तो समीक ऋषि से पानी मांगा। ऋषि समाधि में थे। इसलिए पानी नहीं पिला सके। परीक्षित ने सोचा कि साधु ने अपमान किया है। उन्होंने मरा हुआ सांप उठाया और समीक ऋषि के गले में डाल दिया। यह सूचना पास में खेल रहे बच्चों ने समीक ऋषि के पुत्र को दी। ऋषि के पुत्र ने शाप दिया कि आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प आएगा और राजा को जलाकर भस्म कर देगा।
समीक ऋषि को जब यह पता चला तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो महान धर्मात्मा राजा परीक्षित हैं और यह अपराध इन्होंने कलियुग के वशीभूत होकर किया है। समीक ऋषि ने जब यह सूचना जाकर परीक्षित महाराज को दी तो वह अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंपकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे। वहां बड़े ऋषि मुनि देवता आ पहुंचे और अंत में व्यास नंदन शुकदेव वहां पहुंचे। शुकदेव को देखकर सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। कथा सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। कथा के दौरान हरि भजनों की प्रस्तुति पर श्रद्धालु जम कर झूमें। कथा में दूसरे दिन बड़ी संख्या में महिला.पुरूष कथा सुनने पहुंचे। कथा के अंत में सभी भक्तों के लिए लंगर की व्यवस्था भी की गई।
इस कार्यक्रम में आयोजक हेम राज शर्मा, टीकमा शर्मा, कुमारसेन से आये श्यामा परिवार सहित विभिन्न क्षेत्रों से आए भक्त तथा व्यापार मंडल के सभी सदस्य शामिल हुए।