सुरभि न्यूज़ ब्युरो
जोगिंदर नगर, 26 सितंबर
हि. प्र. स्टेट इलैक्ट्रिसिटी बोर्ड इम्प्लॉइज स्मार्ट मीटरिंग, बिजली बोर्ड़ की लगातार बिगड़ती हुई वित्तीय स्थिति, कर्मचारियों की घटती संख्या को लेकर आज यहां कंवेंशन का आयोजन किया जिसमें सैंकड़ों कर्मचारियों, पेंशनर्ज व जन प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष के ड़ी शर्मा, विद्युत पेंशनर फोरम से सुरेंद्र ठाकुर, नोता राम, यूनियन पूर्व अध्यक्ष कुलदीप खरवाड़ा तथा जन प्रतिनिधि जिला परिषद कुशाल भारद्वाज, पंचायत प्रधान रीना ठाकुर व अन्य जन प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष कामेश्वर दत्त शर्मा ने बताया कि प्रदेश में निजी कंपनी की भागीदारी से की जा रही स्मार्ट मीटरिंग न तो उपभोक्ताओं के हित में है और न ही प्रदेश की जनता के हित मे है। जहां इस अनावश्यक खर्चे से उपभोक्ताओं की विद्युत दरों में भारी वृद्धि होगी वहीं बिजली वितरण का एक बड़ा काम निजी कंपनी के पास जाने से यह बिजली बोर्ड के निजीकरण की ओर एक कदम होगा। उन्होंने कहा बिजली बोर्ड में प्रदेश के सभी 26 लाख इलेक्ट्रॉनिक मीटर को निजी कंपनी के माध्यम से स्मार्ट मीटर से बदलने का फैसला लिया है जिसमे लगभग 3100 करोड़ रुपये की लागत होगी और यह पैसा बिजली बिल के माध्यम से बिजली उपभोक्ताओं से बसूला जाएगा।
उल्लेखनीय है आज प्रदेश के उपभोक्ताओं के लगे मीटर की कीमत मात्र 500 रुपये है और बिलिंग के लिए बिजली बोर्ड को सभी जानकारी मुहैया करवा रहे है ऐसे में वहाँ नौ हज़ार रुपये के मीटर से बदलना अनावश्यक खर्चा होगा। प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि बोर्ड़ में लागू की जा रही RDSS (Revamped Distribution Sector Scheme) पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि यह निर्धारित समयावधि में लागू होना अब असंभव है। यह हजारों करोड़ रुपये की राशि ऋण में बदल जाएगी जिससे बोर्ड का वितीय संकट खतरनाक स्थिति में पहुंच जाएगा। कंवेंशन में उपस्थित जन प्रतिनिधियों ने भी बिजली बोर्ड में की जा रही स्मार्ट मीटरिंग का विरोध किया।
यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि आज बिजली बोर्ड गम्भीर वितीय संकट से गुजर रहा है जिसके चलते कर्मचारियों व पेंशनर्ज के वितीय लाभ रुके पड़े हैं। आलम यह है कि पिछले एक वर्ष से कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति पर अर्जित अबकाश की अदायगी नहीं हो पाई वहीं एक वर्ष से ओवर टाइम व यात्रा भत्ता के claims रुके पड़े हैं। उन्होंने बोर्ड में नई भर्ती करने की मांग की है।
इस अवसर पर जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज ने कहा कि स्मार्ट मीटर योजना असल में बिजली बोर्ड के निजीकरण की प्रक्रिया का ही हिस्सा है, इसमें जो स्मार्ट मीटर लगेंगे उनकी उपभोक्ता से 93 महीने तक मीटर की लागत, मीटर के डेटा प्रबंधन, क्लाउट स्टोरेज सिस्टम से लेकर साइबर सुरक्षा और रखरखाव का ख़र्चा तक किश्तों में वसूला जाएगा। इस काम के लिए किसी एजेंसी को निश्चित समय के लिए ठेका दिया जाएगा। हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार स्मार्ट मीटर योजना को लागू कर प्रदेश के लाखों उपभोक्ताओं पर कुठाराघात कर रही है और साथ ही बिजली के डिस्ट्रीब्यूशन को पूरी तरह निजी हाथों में देना चाहती है। स्मार्ट मीटर मोबाइल रिचार्ज की तरह ही प्रीपेड रिचार्ज होंगे, जैसे ही रिचार्ज खत्म तो घर की बिजली भी गुल हो जायेगी। अभी जिन भी राज्यों में स्मार्ट मीटर लगे हैं, वहां उपभोक्ताओं के भारी भरकम बिल आ रहे हैं। इसलिए हिमाचल में किसी भी कीमत पर स्मार्ट मीटर लगाने का पुरजोर विरोध किया जायेगा।
कुशाल भारद्वाज ने कहा कि स्मार्ट मीटर राष्ट्रीय कार्यक्रम (एसएमएनपी) का लक्ष्य भारत में 25 करोड़ पारंपरिक मीटर को स्मार्ट मीटर से बदलना है यानि यह केंद्र की मोदी सरकार की पूरे देश में बिजली के निजीकरण करने की मुहिम का हिस्सा है। केंद्र सरकार की योजना के तहत प्री-पेड मीटर लगाए जा रहे हैं। केंद्र सरकार राज्यों पर मनमानी शर्त थोंप रही है कि टोटेक्स योजना के तहत स्मार्ट मीटर लगाने ही होंगे अन्यथा केंद्र राज्य को बिजली क्षेत्र में सुधार और विकास के लिए फंड नहीं देगी। अभी मीटर लगाने के लिए राज्य से दादागिरी की जा रही है, फिर मीटर लग जाएगा तो उपभोक्ता के साथ दादागिरी होगी। उन्होंने सवाल किया कि केंद्र सरकार इसे लगाने के लिए राज्यों पर शर्तें क्यों थोप रही है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि प्रदेश के उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के हित में तथा बिजली बोर्ड के हित में वे स्मार्ट मीटर योजना को तुरंत रोके।
कुशाल भारद्वाज ने बिजली बोर्ड कर्मचारी यूनियन को इस पहलकदमी के लिए बधाई दी तथा कहा कि प्रदेश के सब लोगों को इस योजना के विरोध में तुरंत एकजुट हो जाना चाहिए, यदि प्रदेश सरकार ने इसे लागू करने की जिद नहीं छोड़ी तो उग्र आंदोलन शुरू कर दिया जायेगा। उन्होंने बिजली बोर्ड कर्मचारियों व पेंशनरों को सभी देय लाभ और ओपीएस देने की मांग को भी पूरा समर्थन दिया।