साहित्य : बिलासपुर के कोलका की सुरम्य वादियों में कवियों एवं कलाकारों का सजा दरवार 

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सुरभि न्यूज़

बिलासपुर, अनिल शर्मा नील

कल्याण कला मंच की कला कलम सन्गोष्ठी गत दिन झन्डूत्ता के कोलका गांव की चील के पेड़ों से आच्छादित वादियों में संपन्न हुई। इस आयोजन में मंच के पैंतीस से अधिक कवियों एवं कलाकारों ने भाग ले कर अपनी अपनी मनमोहक रचनाएँ प्रस्तुत की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता मंच के प्रधान सुरेंद्र मिन्हास ने की जबकि कुमार देव और डा लेख राम शर्मा सम्मानित सदस्यों के रुप में शामिल रहे। विशिष्ट अतिथियों के रूप में समाजसेवी कैप्टन जगदेव, राम पाल शर्मा, धनी राम, विजय गुलेरिया और राज कुमार कौशल उपस्थित होकर मंच को शोभायमान किया। मंच संचालन का महासचिव तृप्ता कौर मुसाफिर ने कुशल परिचय दिया जबकि आयोजन की व्यवस्था का कार्यभार अमरनाथ धीमान और चंद्र शेखर पंत ने बेखुबी से निभाया।

कार्यक्रम का आगाज सरस्वती मां की प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित कर नरिंदर दत्त शर्मा और अभिषेक की सरस्वती वन्दना प्रस्तुत कर किया जबकि कार्यक्रम की शुरुआत सुबेदार बीरी सिंह ने चानणियां राती रा नजारा पहाड़ी लोकगीत सुनाकर किया।

शीला सिंह ने जुए में भी बेची जाती है वस्त्र खींचें बाल भी नोचे हर पल की मैं सवाली हूं अपनी रचना पेश की जबकि
आशा कुमारी ने क्योंकि यह साल का आखिरी महीना है नए साल आने की ख़ुशी जाहिर की।

श्याम सुंदर सहगल ने तुम जो मिल गये मधुर गीत सुनाया तथा तेज राम की कविता आओ हम अपने अंदर के रावण को मारें सोचने पर मजबूर किया।

बुद्धि सिंह चंदेल ने लूण बिन सलूणा कदी स्वाद नी हुंदा पंरपारीक भोजन का स्वाद चखाया जबकि वीरेंद्र शर्मा ने कैसे नृत्य करें मन मयूर अपनी रचना प्रस्तुत की।

कौशल्या ने पाणी पाणी नू तरसदिया मावां दूध नाल पुत पालेया पंजाबी गीत सुनाया जबकि जीत राम सुमन ने मंजिलों तक पहुंचाया जिन्होंने उन्हें ही घर से बेघर करने लगे हैं रचना सुनाकर आज की पीढ़ी पर तंज कसा।

कर्मवीर कंडेरा ने मिलते रहें हम यूं ही प्यार से गीत व राम पाल डोगरा ने कविता प्रस्तुत की जबकि लश्करी राम ने दर दर रुलदे बीबी बच्चे आजकल के हालात को बयां किया।

आशा लाल ने अजकला रिया दुनिया रा हुई गई रा बुरा हाल तथा राकेश मिन्हास ने नफरतों का बाजार न बन फूल खिला तलवार न बन आपसी भाई चारे से रहने का सन्देश दिया जबकि बी एल लखन पाल ने ये कैसा जाल बनाया हमने संतानों को जिसमें फंसाया हमने अपने बच्चों के प्रति अपनी रचना पेश की।

नरेंद्र शर्मा ने ओ फूल फूली कने डुली गया व वीना वर्धन ने छडि देओं नफरता जो मेरियो राणियो बच्चे कुछ मेरे कुछ तेरे पहाड़ी रचना प्रस्तुत की जबकि रवीन्द्र भट्टा ने सभी को संबोधित किया।

इन्द्र सिंह चंदेल ने बसा च आई ओ तेरी याद फोटो रई गया तेरे कमरे पहाड़ी गीत सुनाकर भावविभोर किया। रवीन्द्र कमल ने सत्य का हो चुका है शंखनाद तथा अभिषेक ने लांघी गई बरखा आई गया शीत कविता से शर्दऋतु का एहशास करवाया।

अनिल शर्मा नील ने क्या हुआ ? कैसे हुआ ? पुलिस कोर्ट कचहरी के चक्कर कौन पड़े ? आज की ब्यवस्था पर तंज कसा जबकि अमर नाथ धीमान ने झीला री सैर करांगा गर्म जलेबी होर समोसे खवांगा मजेदार रचना सुनाकर हँसने पर मजबूर किया।

एस आर आजाद ने बुटडे बराड कले नी जंगला च व रुचिता शर्मा ने After you came you were a worthy add To joys unbound and things unsaid अंग्रेजी में रचना पेश की।

भगत सिंह ने अपने शुविचारों से सबको संबोधित किया जबकि चंद्रशेखर पंत ने पाप की गठरी जलानी अपनी रचना सुनाई।

तृप्ता कौर मुसाफिर ने हर बात कही नहीं जाती हर बात सही नहीं जाती अपनी रचना सुनाकर सोचने पर मजबूर किया जबकि चक ले हुण हत्थयार सिंह गरजेगा गीत सुनाकर सबके अंदर जोश भर दिया।

सुरेन्द्र मिन्हास ने हुण पुज्जी जाणी रेल किती बाणी फसल किती खेलणे खेल विकास के साथ विनाश की हकीकत बयां की जबकि डॉ लेख राम शर्मा ने शांत हुई डल की लहरें कविता सुनाकर शमाँ बांधा।

धनी राम शर्मा ने लेखक की ताकत कलम है विषय पर संबोधित किया जबकि कुमार देव ने मंच के कार्यों की सराहना की। आयोजक डा शर्मा ने सभी कला और कलमकारों को अन्ग वस्त्र भेंट कर सम्मानीत किया। स्थानीय पचास से अधिक बुद्धि जिवियों ने कार्यक्रम का आनन्द लिया लेते हुए अंत में बिलासपुरी धाम का स्वाद भी चखा।

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