सुरभि न्यूज़
केलांग, 07 जनवरी
जन चेतना समिति लाहौल स्पीति के प्रधान नवांग तांबा ने हिमाचल सरकार द्वारा राज्य में प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण को हाल ही में दी गई अंतिम मंजूरी का कड़ा विरोध किया है।
उन्होंने कहा कि इस प्रस्तावित परियोजनाओं की विद्युत उत्पादन की क्षमता 6.5 मेगावाट से 400 मेगावाट तक स्वीकृत हुई है। इनमें से अधिकांश जिले जनजातीय क्षेत्र लाहौल स्पीति, चंबा, किन्नौर चिन्हित किए हैं। यह क्षेत्र अत्यंत नाजुक एवं संवेदनशील हिमालय ठंडे रेगिस्तान में स्थित है।
उन्होंने कहा कि पावर प्रॉजेक्ट लगने से यह वहां की जलवायु, पर्यावरण और प्रकृति को नष्ट करेगा। जिस का प्रकृति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। तांबा ने बताया कि वर्ष 2010 में अभय शुक्ला द्वारा गठित समिति के अनुसार 7000 फीट से अधिक ऊंचाई पर हिमनद नदियों पर बड़ी परियोजनाओं पर प्रतिबंध है।
जनजातीय क्षेत्र जिस पर यह परियोजनाओं का कार्य होना है। भूकंप की दृष्टि से यह इलाका 4 से 5 भूकंपीय क्षेत्र की दृष्टि में आता है। पर्यावरण विद किशन लाल व शोर पांगी के समाजसेवी व पर्यावरण प्रेमी यशवंत ठाकुर ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में इन दानवरूपी परियोजनाओं का लगना पर्यावरण का विनाश का कारण है। इन परियोजनाओं के लगने से वहां की जलवायु, भूमि, पर्यावरण, जैव विविधता वनस्पति, जीवजंतुओं, सिंचाई, वायु प्रदूषण जैसी आपदाएं आएगी।
तांबा ने बताया कि हिमाचल सरकार इन परियोजनाओं को तुरंत निरस्त करे। इन परियोजनाओं के लगने से वहां के स्थानीय लोगों को विस्थापन और पुनर्वासन का दंश झेलना पड़ेगा। जिस का खामियाजा हम हिमाचल, उत्तराखंड में बने हुए बड़ी बड़ी परियोजनाओं का देख चुके है।
तांबा ने सरकार को चेताया कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए और प्रकृति को संरक्षित करते हुए सरकार को यह प्रस्तावित परियोजनाओं को तत्काल निरस्त किया जाए। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में प्रकृति से खिलवाड़ करना जनजातीय लोगों से सहन नहीं किया जाएगा।
जनजातीय क्षेत्र लाहौल स्पीति, चंबा, किन्नौर में चिन्हित जल विद्युत परियोजनाओं को तत्काल निरस्त करें सरकार, प्रकृति से खिलवाड़ जनजातीय लोगों नहीं करेंगे सहन – नवांग तांबा