सुरभि न्यूज़
कुल्लू, 02 फरवरी
पिछले 10 सालों से प्रेस क्लब ऑफ कल्लू की कुर्सी पर मनमाने तरीके से जमे प्रधान की कुर्सी जिला प्रशासन द्वारा छीन लिए जाने से बौखलाए प्रधान ने प्रेस क्लब का शटर बंद करने के आरोप में तीन महिलाओं से पुलिस में झूठी शिकायत दर्ज करवा दी, जबकि प्रेस क्लब को पत्रकार ही रोजाना बंद करते व खोलते हैं।
लेकिन प्रेस क्लब की जांच रिपोर्ट क्लब के खिलाफ आने के बाद प्रशासन द्वारा प्रेस क्लब में प्रशासक की अधिसूचना मिलते ही जांच करवाने वाले 2 वरिष्ठ पत्रकारों पर पुलिस में मामला दर्ज करवा दिया।
हैरत तो इस बात की है कि प्रेस क्लब की उपरी मंजिल में बैठने वाले लोगों के लिए कैंटीन की तरफ से आने जाने के लिए अलग से रास्ता बनाया गया है। जो दिन रात खुला रहता है। लेकिन वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ झूठा शटर बंद कर परेशान करने का मामला दर्ज करवाने के साथ-साथ पुलिस को भी गुमराह किया गया, जबकि मुख्य दरवाजे का शटर थोड़ा खुला था और न ही शटर लॉक किये। क्योंकि प्रेस क्लब के शटर में ताला ही नहीं लगता आया है। दोनों पत्रकारों के खिलाफ पूजा ठाकुर, श्वेता तथा पूजा कश्यप नाम की महिलाओं से पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई गई।
हालांकि यह तीनों महिलाएं किसी भी मान्यता प्राप्त मीडिया संस्थान से संबंध नहीं रखती हैं। यह भी जानकारी नहीं है कि वह कि वह किस मीडिया प्लेटफॉर्म पर कार्य करती है। लेकिन उनको आगे करके दो वरिष्ठ पत्रकारों के खिलाफ झूठा मामला दर्ज करवा तथाकथित प्रधान सहित शिकायतकर्ताओं की पोल पूरी तरह से खुल गई है।
क्योंकि पिछले दिन दोनों वरिष्ठ पत्रकारों को थाने तलब करने पर जिला मुख्यालय में कार्यरत बड़ी संख्या में पत्रकारों ने पुलिस को साफ तौर पर बताया कि यह मामला पूरी तरह से झूठ और पुलिस को गुमराह करने वाला है।
बड़ी संख्या में पत्रकारों ने पुलिस को बताया कि उपरी मंजिल में बैठने वाले लोगों की आवाजाही के लिए कैंटीन की तरफ से अलग रास्ता बनाया गया है। जहां से उनकी आवाजाही दिन रात रहती है और उस रास्ते को कोई पत्रकार बंद नहीं करता है। ऐसे में यह मामला पूरी तरह से झूठा और गुमराह करने वाला है। पुलिस ने भी इस मामले पर अपने तेवर कड़े कर लिए हैं।
इसके साथ ही जिन पत्रकारों के खिलाफ महिलाओं ने पुलिस में मामला दर्ज करवाया है। अब दोनों पत्रकारों ने तीनों महिलाओं के खिलाफ उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने तथा झूठा मामला दर्ज करवाने पर पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाने के साथ ही मामले को अदालत ले जाने का निर्णय लिया है। इसमें अधिकतर पत्रकारों की भी सहमति है ताकि इस तरह के झूठे मामले दर्ज करवाने वालों को सबक मिल सके।