सुरभि न्यूज़
केलांग, 12 फरवरी
हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिला लाहुल स्पीति की पट्टन घाटी में तीन दिवसीय हालडा, ओडी, खोहल, दयाई, खोगल त्यौहार की तैयारियां, बलिराजा बलराजा व बलराज़ की प्रतिष्ठापन व पुजा अर्चना के साथ हो रही है।
बीते दिन हालड़ा फाड़ा गया तथा आज हालडा (मशाल) जलाकर इष्ट देवी – देवता की पुजा अर्चना कर बुरी शक्तियों को भगाने और सामूहिक लोगों के नृत्य द्वारा मनाया जाएगा। कई गांव में बर्फ से होली भी खेली जाती है।
जिसमें हर इंसान अपने से बडो या छोटो को बर्फ आशीर्वाद के रुप लेने और देने के तौर पर मनाते हैं। जिससे साल भर का मनमुटाव को भुला कर भाईचारा ओर प्रेम सद भावना को बढ़ाते हैं।”खोल या खोगल शुभ हो”
राजा बलि को वामन का वरदान था कि वह साल में एक बार अपने राज्य वापिस आ पायेंगे।
महाबली के आगमन के साथ ही खोगल उत्सव आरम्भ होता है। उनका आगमन घरों में उनके प्रतिरूप बलराज़ा, भित्ति चित्रण की स्थापना के साथ होता है।
महाबली अगले 15 दिन धरती लोक पर विराजेंगे। उनके प्रवास के अंतिम दिन रात्रि भोज में नौ प्रकार के पकवान (कुहयग) परोसे जाते है।
राजा बलि के प्रवास के दौरान उनका प्रतिरूप भित्ति चित्र के रूप में सजा रहता है और दीप भी प्रजवलित रहता है।
पुनह के दिन उनका प्रवास समाप्त मान कर इसे मिटा दिया जाता है। कुंहसिल के दिन दानवीर से कई वरदान भी माँगे जाते है