छोटाभंगाल तथा चौहार घाटी की 20 पंचायतों के 155 गांव क़ो अब तक कोई भी सरकार नहीं दे पाई अग्निशमन केंद्र, आगजनी से करोड़ों स्वाह

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सुरभि न्यूज़

खुशी राम ठाकुर, बरोट

जिला कांगड़ा की छोटाभंगाल घाटी तथा जिला मंडी की चौहार घाटी में गत सात दशकों से कई छोटे बड़े भयंकर अग्निकांड हो चुके हैं। दोनों क्षेत्रों में हुए अग्निकांड से अभी तक कई गांव तथा घर अग्नि की भेंट चढ़ चुके है, जिससे करोड़ों रुपये का नुकसान हो चूका है। लेकिन हैरानी बात यह है कि आजतक कितनी सरकारें आई परन्तु आज तक कोई भी सरकार एक अदद अग्निशमन केंद्र नहीं दे पाई।

मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 1971 के बाद दोनों दुर्गम क्षेत्रों में आगजनी घटनायों से अबतक करोड़ों रूपये का नुक्सान के साथ जान माल का नुकसान भी झेलना पड़ा है।

पंचायत प्रधानों का कहना है कि छोटा भंगाल की 07 पंचायतों के अंतर्गत लगभग 35 गाँव तथा उपगांव पड़ते है। इन गाँवों की कुल आबादी लगभग नौ हज़ार है।

चौहार घाटी की 13 पंचायतें है और इन पंचायतों के अंतर्गत लगभग 120 गाँव तथा उपगांव पड़ते हैं। उनमें से अधिकांश गाँव अब सड़क सुविधा से जुड़ गए हैं, मगर दोनों क्षेत्रों के 20 पंचायतों के 155 गाँव के हजारों परिवारों के घरों की आगजनी से सुरक्षा के लिए अग्निशमन केन्द्र की सुविधा आज तक कोई भी सरकार नहीं दे पाई।

प्राप्त जानकारी के अनुसार गत पांच दशकों में छोटाभंगाल में वर्ष 1971 में के बड़ा ग्रां में 90 घर, 1980 में तरमेहर गाँव में 52 और इसी गाँव के वर्ष 1984 में 18 घर, वर्ष 1990 में स्वाड़ गाँव में 36 घर, वर्ष 1995 में अन्दरली मलाह गाँव में 80 घर, वर्ष 1999 में खड़ी मलाह गाँव में 14 घर, वर्ष 2005 में बखलोग गाँव में 15 मकान अग्निकांड से पूरी तरह स्वाह हो गए और पांच लोग तथा दर्जनों पशु भी आग की चपेट में आकर ज़िंदा जल गए।

वर्ष 2006 में में अन्दरली मलाह गाँव में फिर एक बार 40 घर, वर्ष 2007 में पोलिंग गाँव में तीन मंजिला मकान जलकर राख हो गया। वर्ष 2010 तथा वर्ष 2014 में कोठी कोहड़ गाँव में दो मंजिला मकान, वर्ष 2012 में गाँव लोआई में 20 मकान राख हो गए हैं।

वर्ष 2013 में लोहारडी बाज़ार में एक लकड़ी के खोखे में रह रहा बुजूर्ग खोखे सहित जिन्दा जलकर राख हो गया। वर्ष 2013 मे फिर एक बार तीन मंजिला मकान आग की भेंट चढ़ गया है।

इसके अलावा चौहारघाटी के बोचिंग गांव में वर्ष 2004 में नौ मकान, वर्ष 2006 में कढियाण गाँव में छः मकान व पशु, वर्ष 2007 में गाँव ख्बाण में तीन मकान तथा एक युवती भी ज़िंदा ही जल गई।

वर्ष 2011 में गाँव लचकंडी में तीन मकान, वर्ष 2014 में धमरहेड़ गाँव में दो मंजिला मकान जल कर राख हो गया। वर्ष 2012 मे गाँव थुजी में एक मकान जल कर्र पूरी तरह राख हो गया जबकि वर्ष 2024 में गत दिन रूलिंग गाँव में एक तीन मंजिला मकान तथा बड़ी झरवाड़ गाँव में भी एक तीन मंजिला मकान व साथ लगता एक मकान लगभग पच्चास प्रतिशत जल गया। इस वर्ष 2025 क़ो गत रविवार क़ो चौहार घाटी के लंबाडग के व्यापारियों की दुकानें जलकर  राख हो गई है।

उल्लेखनीय है कि दोनों क्षेत्र में बसे गांव में बने मकान काठकुणी शेली से निर्मित होते है जिनमें पत्थर के अलावा लकड़ी का अधिक प्रयोग होता है जो देवदार की होती है।यह लकड़ी बहुत ज्यादा ज्वलंशील होती है। अगर किसी भी घर में आग लग जाए तो इस पर काबू पाना बहुत मुश्किल होता है।यही कारण है कि आग लगने की दशा में पुरे के पुरे गांव राख के ढेर में बदल जाते है। इन मकानों में स्थानीय लोग पहली मंजिल में पशुधन तथा पशुयों के लिए घास रखी जाती है जबकि दूसरी मंजिल में अपने आप रहते है।

छोटाभंगाल बड़ा ग्रां पंचायत की प्रधान चन्द्रमणी देवी, कोठी कोहड़ पंचायत की प्रधान रक्षा देवी, धरमान पंचायत की प्रधान रेखा देवी, मुल्थान पंचायत की प्रधान दुर्गेश कुमारी, लोआई पंचायत के उपप्रधान तिलक ठाकुर तथा चौहार घाटी की खलैहल पंचायत पंचायत के प्रधान भागमल, लपास पंचायत के प्रधान रमेश चंद पूर्व उपप्रधान भोखी राम सहित घाटियों के समस्त लोगों की मांग है कि मुल्थान या बरोट में अग्निशमन केंद्र खोला जाए।

बैजनाथ के विधायक एवं मुख्य संसदीय सचिव किशोरी लाल का कहना है कि मुख्यमंत्री ने छोटा भंगाल के मुल्थान में अग्निशमन केन्द्र को स्थापित करने की बात कह दी है और जल्दी ही यहाँ अग्निशमन केंद्र स्थापित दिया जाएगा।

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