विलुप्त हो रहे कुल्लू होली के पारंपरिक गीतों का संरक्षित करना जरुरी – दयानंद गौतम

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 सुरभि न्यूज़
कुल्लू, 21 फरवरी
रूपी सिराज कलामंच साधना स्थली मिंयावेहड़ कुल्लू के द्वारा होली के पांरम्परिक गीतों को संजोने के लिए 22 फरवरी को सांय 4 वजे कुल्लू अटल सदन के उपरोक्त सभागार में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिसमें पारम्परिक गीतों से जुडे हुए लोगों को विषेश रूप से आमंत्रित किया गया है।
संस्था के सचिव डॉ दयानंद गौतम ने जानकारी देते हुए बताया कि आज के दौर में पारम्परिक गीत दिन प्रतिदिन विलुप्त होते जा रहे है और खास कर आज के दौर में पुराने गीतों के साथ जो छेड़छाड हो रही है उससे पुराने गीत वास्तविक रूप से लोगों तक नहीं पंहुच पा रहे हैं।
उन्होने कहा कि खास कर होली के पारंपरिक गीत आज पुरी तरह से समाप्त हो रहे हैं और इसी को लेकर 22 फरवरी को इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है जिसमें रघुनाथ के श्रृगांर होली गीत सहित कई अन्य पारम्परिक गीतों पर विषेश प्रस्तुतियां रहेगी।

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