सुरभि न्यूज़
कुल्लू
भाषा संस्कृति विभाग एवं रूपी सराज कला मंच के संयुक्त तत्वावधान में अटल सदन में पारंपरिक लोक एवं होली गीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में लोक गीत गाए गए।
बैरागी समुदाय के लोगों ने होली गीत गाकर माहौल को खुशनुमा बनाया। भाषा अधिकारी प्रोमिला गुलेरिया और मंच के संयोजक दयानंद गौतम ने सभी का स्वागत किया। कलाकारों ने परंपरागत अवध के होली गीत पेश कर परंपरागत होली की जानकारी गीतों के माध्यम से दी।
16वीं शताब्दी में भगवान रघुनाथ के कुल्लू के साथ अवध से उनके साथ वैरागियों के चार अखाड़े परमात्मा की होली परंपरा में जुड़े और उन्हीं के नाम से अखाड़ा बाजार का नाम पड़ा।
बैरागी भगवान रघुनाथ के ज्ञान अर्जन, पूजा पद्धति, कीर्तन एवं लाठी चलाना जैसे कर्तव्य को पूर्ण करते थे। कालांतर में यह सभी बैरागी गृहस्थी होकर भगवान की इस परंपरा का आज भी निर्वहन करते हैं।
ऐसे में कुल्लू की होली का विशेष महत्व है। रघुनाथ और वैरागी समुदाय से जुड़ी होली का और भी महत्व बढ़ गया है। लिहाजा, भाषा एवं संस्कृति विभाग और रूपी सराज कलामंच ने कार्यक्रम के माध्यम से परंपरागत होली को संजोए रखने का प्रयास किया है।