साहित्य : पुस्तक समीक्षा – किरण कोहरा (काव्य संग्रह ) : लेखिका – सुषमा खजूरिया : प्रकाशन – सागर प्रकाशन दिल्ली

Listen to this article

सुरभि न्यूज़

बिलासपुर, रवि कुमार साँख्यान

हिन्दी प्रवक्ता सुषमा खजूरिया की छठी प्रकाशित पुस्तक है जिसमें जीवन के विविध क्षेत्रों में लेखनी चलाने का एक सौ कविताओं के माध्यम से समुचित प्रयास किया गया है।

उनके प्रकाशित रचना संसार में दो उपन्यास चप्पा धूप , चीत्कार, एक कहानी संग्रह “कारुणिक” एक लेख संग्रह      “मानवता कराह उठी” पाठकों द्वारा सराही जा चुकी है।

अनेक साहित्य सम्मानों से अलंकृत लेखिका की छन्दमुक्त रचनाओं में लयबद्धता व गेयता देखते ही बनती है। प्राक्कथन में अनिल कुमार खजूरिया ने इस पुस्तक को जीवन के विभिन्न इन्द्रधनुषी रंगों का गुलदस्ता तथा चिरसंचित अनुभवों का खजाना माना है।

सागर प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित इस पुस्तक का मुख कवर पृष्ठ व अंतिम कवर पृष्ठ अत्यन्त आकर्षक हैं। पुस्तक के श्रीगणेश में कमलासन पर विराजमान माँ शारदा का रंगीन चित्र बड़ा ही मनमोहक है। गणपति गजानन व सरस्वती वंदन जैसी धार्मिक आस्था से ओत -प्रोत कविताओं से
काव्य -संग्रह का शुभारम्भ श्रेयस्कर प्रतीत होता हैं। Pछः ऋतुओं वाला देश, वीर प्रताप, वीर सैनिक, मराठा शिवाजी रचनाएं देशभक्ति की सीख देती हैं।

सबला, बेटियाँ, नारी नदी, प्रतीक्षा, वीरांगणा, कन्या – भ्रूण हत्या जैसी प्रेरणादायक रचनाएं महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाली है। वसन्त, किरणकोहरा, भीतरी आकाश, नैसर्गिक सुषमा, सावन के झूले, अनिल आदि प्रकृति चित्रण का अनूठा संगम है। प्रिय पंजाब, प्रिय जालंधर कविताए बचपन की अविस्मरणीय यादगार को समर्पित हैं।

धरतीपुत्र किसानों, माँ महिमा, धार्मिक – पर्वों, वेद -पुराणों, चन्द्रयान -3 की सफलता से प्रेरित रचनाएं भी अच्छी बन पाई हैं। पुरखों की सीखों को अपनाते हुये नशा त्यागकर ,नैतिक मूल्यों को अपनाते हुये निःस्वार्थ समाजसेवा की राह दिखाती कलम भी नवयुग की भोर लाने का संदेश देने को आतुर प्रतीत होती है।

इंटरनेट के युग में पुस्तक पठन -पाठन संस्कृति को अपनाने की सीख, सादा जीवन उच्च विचार का मूल मंत्र, साम्प्रदायिक सद्भाव, मानवीय संवेदनाओं का ह्यस भी रचनाओं के मूल में निहित है।

लेखिका की कविताओं में प्रकृति का मानवीकरण, रहस्यवाद, बालमन की इन्द्रधनुषी छटा है। कभी लेखिका का मन समाज की संकीर्ण सोच पर व्यथित है तो कहीं वीरों -वीरांगनाओं के अनूठे कार्यो पर प्रफुल्लित है।

काव्यसंग्रह का शीर्षक किरण कोहरा स्टीक प्रतीत होता है जो इसी काव्यसंग्रह की पृष्ठ 27 पर प्रकाशित कविता
“किरण कोहरा” से लिया गया है। किरण का कार्य प्रकाश फैलाकर कोहरे रूपी अंधकार को मिटाना है।

निम्न पंक्तियों की बानगी तो देखिए।

“रातभर कोहरा खोजता रहा, सूर्य की प्रथम किरण को।उसका पसीना ओस बन बहता रहा, ओस बूंदे हरियाली स्पर्श पाकर, मोती बन गयीं “।

इस संग्रह की कविताएं काव्यात्मकता को गहराई से समझने में मदद करती है। सत्यम शिवम सुन्दरम् की अवधारणा को अपनाने को आतुर मनु की वाणी का शब्द विधान ही कविता है।

कवयित्री के श्रम व पुस्तक की प्रकाशन गुणवत्ता के मध्यनज़र इसका मूल्य केवल मात्र तीन सौ सतहत्तर रुपये सर्वथा उचित प्रतीत होता है। समीक्षक के अनुसार यह पुस्तक पाठकों के लिए रोचक व संग्रहणीय साबित होगी।

समीक्षक : रवि कुमार साँख्यान मैहरी काथला, जिला बिलासपुर (हि .प्र .) 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *