महा शिवरात्रि महोत्सव में भाग लेने के बाद मूल स्थल नेर में पहुंचे देवादि देव गहरी 

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सुरभि न्यूज़

खुशी राम ठाकुर, बरोट

छोटाभंगाल के नेर गाँव में स्थित मुख्य देवता के रूप में जाने जाने वाले देवादि देव गहरी नेर 17 फरवरी को अपने मूलस्थल नेर से अपने लाव लशकर के साथ निकले हुए थे।

उसी दिन छोटाभंगाल के दयोट तथा मुल्थान बाज़ार तथा चौहार घाटी के लंबाडग, लक्कड़ बाज़ार तथा बरोट बाज़ार से होते हुए कल्होग गाँव में रात्रि ठहराव करने के बाद जोगिन्द्र नगर के कुपड़ हराबाग, चौगान, बीड़ क्योर, सूजा, पहारगी तथा संसाल में गाँववासियों द्वारा आयोजित देव जातर को स्वीकार कर अपना आशिर्बाद देते हुए 26 फरवरी को बैजनाथ में महाशिवरात्रि में शामिल हुए।

देव गहरी नेर मंदिर कमेटी के अध्यक्ष संजय ठाकुर ने बताया कि दूसरे दिन 26 फरवरी की सुबह बैजनाथ महा शिवरात्रि महोत्सव में अन्य देवी देवताओं के साथ निकाली गई शाही जलेब में शिरकत की उस दौरान प्रशासन द्वारा सभी व्यवस्था करते हुए सभी देवी – देवताओं का फूलमालाओं से जोरदार स्वागत किया गया।

उन्होंने कहा कि 26 फरवरी की शाम को ही पपरोला तथा 27 फरवरी को भी पपरोला में स्थानीय लोगों द्वारा आयोजित देव जातर को स्वीकारते हुए उन्होंने अपना सुख – समृद्धि का संदेश भी दिया।

28 फरवरी को देवता गहरी नेर ने धरेहड़ तथा 1 मार्च को गणखेतर में भी लोगों द्वारा आयोजित देव जातर में बढ़ चढ़ कर भाग लिया और अपना आशिर्बाद भी दिया। संजय ठाकुर ने बताया कि 2 मार्च को महा शिवरात्रि महोत्सव के समापन अवसर में भाग लेकर वहां से वापिस होकर सुजा में गाँववासियों द्वारा आयोजित देव जातर में शिरकत करने के साथ – साथ वहां पर ही रात्रि ठहराव किया।

3 मार्च को चौगान चौक में देव जातर को स्वीकार करने के साथ वहीँ पर रात्रि ठहराव भी किया वहीँ 4 मार्च को जोगिन्द्र नगर के अपर हराबाग के कुणगाण गाँव में देव जातर में भाग लिया। देव जातर में भाग लिया और रात्रि ठहराव भी वहीँ पर किया और 5 मार्च को दूसरे गाँव बदन में भी देव जातर में भाग लेते हुए रात्रि ठहराव किया।

6 मार्च को सुबह बदन से चल कर दोपहर को चौहार घाटी के बरोट तथा लंबाडग बाज़ार से होते हुए छोटाभंगाल घाटी के मुल्थान मे स्थित मेला मैदान मुल्थान में मुल्थान गांववासियों द्वारा आयोजित देव जातर में भाग लिया। वहां पर कुछ समय बिताने के बाद मुल्थान बाज़ार से होते हुए पैदल चलकर ही शाम के समय पूरे विधिविधान के साथ अपने मूलस्थल नेर में लगभग 18 दिनों के बाद वीरवार देर शाम को फिर से विराज़मान हो गए हैं।

इस दौरान देव गहरी नेर कमेटी के अध्यक्ष संजय ठाकुर, देवता के गुर परस राम, पुजारी लाल चंद, देव अजियापाल के गुर केवल सिंह, मंगत राम, दुमच धीरज कुमार, कायथ मंगत राम सहित 75 देवलू उपस्थित रहे।

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