जोगिन्दर नगर के त्रामट घट में स्थित है बाबा बालक नाथ व मां तारा तामेश्वरी के प्राचीन मंदिर

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सुरभि न्यूज़

राजेश जसवाल, जोगिंदर नगर

शीघ्र मनोकामना पूर्ण करती है मां तारा तामेश्वरी, आषाढ़ माह में लगता है तीन दिवसीय मेला,
बच्चों के मुंडन संस्कार के लिए गाजे बाजे के साथ बाबा बालक नाथ के मंदिर पहुंचते हैं श्रद्धालु

जोगिन्दर नगर उपमंडल की ग्राम पंचायत ऐहजु के गांव त्रामट घट में मां तारा तामेश्वरी तथा बाबा बालक नाथ जी के प्राचीन मंदिर स्थित हैं। श्रद्धालु जहां मां तारा तामेश्वरी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं तो वहीं दियोट सिद्ध बाबा बालक नाथ के प्रति आस्था रखने वाले स्थानीय लोग मंदिर में पहुंचकर बाबा बालक नाथ जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। साथ ही बच्चों का मुंडन संस्कार भी यहां किया जाता है।

जानकार कहते हैं कि त्रामट घट में स्थित मां तारा तामेश्वरी का यह प्राचीन मंदिर वर्ष 1905 में आए कांगड़ा भूकंप के दौरान नष्ट हो गया था। इसके बाद यहां पर स्थानीय लोगों द्वारा एक छोटा मंदिर का निर्माण करवाया था। लेकिन अब भक्तजनों के सहयोग से यहां पर मां तारा तामेश्वरी के नए मंदिर परिसर को स्थापित किया गया है। कहते हैं कि मां तारा तामेश्वरी भक्तों की मनोकामना को शीघ्र पूरा करती हैं। इस मंदिर में मां बगलामुखी की तर्ज पर फलदायी हवन व यज्ञ भी किये जाते हैं। प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह की सक्रांति को तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। मां तारा तामेश्वरी मंडी व कांगड़ा जिला के लोगों की कुल देवी भी है।

मां तारा तामेश्वरी के इस प्राचीन मंदिर से महज 50 मीटर की दूरी पर दियोट सिद्ध बाबा बालक नाथ जी का भी प्राचीन मंदिर स्थित है। स्थानीय जानकारों का कहना है कि इस स्थान पर पहुंचकर आसपास क्षेत्रों के लोग बच्चों का मुंडन संस्कार करते हैं। कहते हैं कि पुरातन समय में जब लोग बाबा बालक नाथ जी के दर्शनार्थ दियोटसिद्ध नहीं जा पाते थे तो वे इसी स्थान पर पहुंचकर बाबा बालक नाथ जी का आशीर्वाद प्राप्त करते थे। इस पवित्र स्थान में जहां छोटे बच्चों का मुंडन संस्कार किया जाता है तो वहीं बाबा बालक नाथ जी की परिक्रमा करने के लिए भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
वर्तमान में इन दोनों मंदिरों के संचालन के लिए आसपास के गांवों के लोगों द्वारा मंदिर प्रबंधन कमेटी भी गठित की गई है।
प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से है खूबसूरत स्थान, शांत वातावरण से श्रद्धालुओं को होती है दिव्य अनुभूति
यह पवित्र स्थान प्राकृतिक सौंदर्य की दृष्टि से भी बेहद खूबसूरत है। यहां का शांत वातावरण जहां श्रद्धालुओं को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है तो वहीं यहां पहुंचकर अलग तरह की दिव्य अनुभूति भी होती है

मंदिर परिसर से एक तरफ जहां लडभड़ोल व बैजनाथ क्षेत्र को निहारा जा सकता है तो दूसरी तरफ संपूर्ण चौंतड़ा क्षेत्र के साथ-साथ विश्व प्रसिद्ध पैराग्लाइडिंग साईट बीड़-बीलिंग की वादियों को भी देख सकते हैं।

ये प्राचीन मंदिर मंडी-जोगिन्दर नगर-पठानकोट राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर ऐहजु नामक स्थान से ऐहजु-गोलवां-लडभड़ोल सडक़ पर लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर छोटे वाहनों के साथ-साथ बस के माध्यम से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।
लेखक जोगिंदर नगर में सहायक लोक संपर्क अधिकारी है

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