सुरभि न्यूज़
डा. गुलशन कुमार, सहारनपुर
वसंत मनुष्य की लीक पर चलती जिंदगी में बदलाव और नई शुरुआत लाता है। वसंत पंचमी के आगमन से प्रकृति में बदलाव आना महसूस होने लगता है। रंग-बिरंगे फूलों की खुशबू और पक्षियों की सुरीली आवाज गूंजने लगती है।
इस ऋतु में होली का त्योहार भी आता है। होली रंगों और मस्ती का पर्व है। प्रकृति खुद को संवारती है। मनुष्य के अलावा पशु-पक्षी उल्लास से भर जाते हैं। सभी प्राणी नई ऊर्जा से ओत-प्रोत हो जाते हैं।
शरद ऋतु में मंद पड़े समस्त पेड़-पौधे, फूल और मनुष्य में जैसे नई जान आ जाती है। धरती किसी दुल्हन या अपने पिया के लिए सजी-संवरी स्त्री की तरह इठलाती हुई खूबसूरत दिखाई देने लगती है। सब पुराने पत्ते झड़ जाते हैं।
प्रकृति नया शृंगार करती है। टेसू के फूल इस कदर खिलते हैं, जैसे किसी सुंदर स्त्री के दिलों में भावनाओं के अंगारे दहक उठते हों। खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है, मानो किसी खूबसूरत स्त्री के मुख पर तेज चमकता हो और गेहूं की बालियां ऐसे लहराती हैं, जैसे किसी युवती की लचीली कमर।
रंग-बिरंगी तितलियां चारों दिशाओं में उड़ने लगती है, मानो चंचल शोख हसीनाएं हवा में अपने रंग-बिरंगे परिधानों का आंचल लहरा रही हों। प्रकृति में चारों तरफ बिखरे नए-नए गुलाबी रंगों के पल्लव मन को मुग्ध. करते हैं, बिल्कुल वैसे, जैसे कोई सजी-संवरी सुंदर युवती हो।
लेखक डॉक्टर गुलशन कुमार नवीन नगर सहारनपुर