चौहार घाटी, छोटाभंगाल व बड़ाभंगाल तीनों क्षेत्रों को जोड़कर एक विधानसभा क्षेत्र बनाया जाए – पंचायत प्रतिनिधि

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सुरभि न्यूज़

खुशी राम ठाकुर, बरोट

जिला मंडी की चौहार घाटी, जिला कांगडा़ का छोटाभंगाल घाटी व अति दुर्गम बड़ाभंगाल तीनों क्षेत्रों को जोड़कर एक विधानसभा क्षेत्र बनाए जान की मांग कई वर्षों से स्थानीय लोग करते आ रहे हैं। गौरतलव है कि ये तीनों क्षेत्र आपस में जुड़े होने के साथ यहाँ के वासियों की वेशभुषा, भाषा, रहन – सहन, खान पान, तीज त्यौहार व मेले उत्सव आदि आपस में  मिलते जुलते होने के साथ तीनों घाटियां अति दुर्गम भी है।

अगर इन इन तीनों घाटियों को जोड़कर एक विधानसभा क्षेत्र बनाया जाता है तो तीनों घाटियों में विकास के माध्यम से यहां की तस्वीर पूरी तरह से बदल सकती है। बड़ा भंगाल पंचायत के प्रधान मनसा राम, छोटाभंगाल घाटी की बड़ा ग्रां पंचायत की प्रधान चन्द्रमणी, कोठी कोहड़ पंचायत की प्रधान रक्षा देवी, धरमाण पंचायत की प्रधान रेखा देवी, मुल्थान पंचायत की प्रधान दुर्गेश कुमारी, लोआई पंचायत के प्रधान सुरिंद्र कुमार, स्वाड़ पंचायत की प्रधान गुड्डी देवी, पोलिंग पंचायत पंचायत की प्रधान शालू देवी, बरोट पंचायत के प्रधान डाक्टर रमेश ठाकुर, खलैहल पंचायत के प्रधान भागमल धीमान, लपास पंचायत के पंचायत के प्रधान रमेश कुमार, वरधान पंचायत के प्रधान अनिल कुमार, धमच्याण पंचायत के प्रधान कली राम, तरस्वाण पंचायत के प्रधान जय सिंह, लटराण पंचायत के प्रधान जोगिन्द्र पाल, सुधार पंचायत की प्रधान निशा देवी आदि सहित तीनों घाटियों के बुद्धिजीवि लोगों में दयाल सिंह ठाकुर, भागमल धीमान, देवीसिंह ठाकुर, पुर्ण चंद नेगी, धनीराम ठाकुर, श्याम सिंह आदि का कहना है तीनो क्षेत्रों को आपस में जोड़कर एक विधानसभा क्षेत्र बनाया जाना बहुत ही आवश्यक है।

चौहार घाटी की 14 पंचायत तथा छोटा व बड़ा भंगाल की 8 पंचयातों को आपस में जोड़कर एक विधानसभा बनाई जा सकती है जिससे यहां विकास की गंगा बह सकती है।

पंचयात प्रतिनिधियों का कहना कि चौहार घाटी की चौदह पंचायतों की लगभग 20 हज़ार तथा छोटाभंगाल के सात पंचायतों में लगभग नौ हज़ार आबादी तथा बड़ा भंगाल पंचायत की लगभग साढ़े छः सौ आबादी है। तीनों क्षेत्रों कि कुल आबादी लगभग 30 हजार है।

उन्हका कहना है कि अलग- अलग विधानसभा क्षेत्र में बंटे होने के चलते ये तीनों क्षेत्र विकास कार्य में हमेशा पिछड़ते ही चले आ रहे है। क्योंकि जो कार्य एक कार्यालय से हो सकता है उसके लिए सरकार को यहां पर अलग-अलग कार्यालय खोलने पड़ रहे हैं। इसलिए तीनों क्षेत्रों को समायोजित करने की मांग कई बार सरकार के आगे भी उठा चुके है लेकिन राजनीतिक दंस झेलते हुए आजतक कोई भी सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे पाई।

जानकारी के अनुसार वर्ष 1983 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह और 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने एक विशेष कार्यक्रम के दौरान यहां पर तीनों क्षेत्रों को आपस मे जोड़ कर एक क्षेत्र बनाने की घोषणा की थी लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

खासकर दोनों क्षेत्रों के लिए स्वास्थय सुविधाओं के नाम पर सामुदायिक स्वास्थय अस्पताल बरोट में स्थापित तो कर दिया गया है मगर इस अस्पताल में सुविधा के नाम पर अभी तक लोगों को मात्र प्राथमिक स्वास्थय केन्द्र के जैसी ही सुविधा मिल रही है और न ही आज दिन तक इसका भवन नहीं बन पाया है। स्वास्थ्य की पर्याप्त सुविधा न होने के कारण आपातकालीन दशा में भारी परेशानी झेलानी पड़ रही है।

इसके साथ गांव में लकड़ी के बने घर होने से आगजनी जैसी घटना होने जानमाल के नुक्सान होने के साथ लाखों की सम्पति भी देखते – देखते जल चुकी है मगर उसके बावजूद भी इन क्षेत्रों को कई बार ही मांग करने पर आजतक प्रदेश में सता में रहने वाली किसी भी सरकार ने यहां पर अग्निशमन केन्द्र को स्थापित ही नहीं किया।

तीनों क्षेत्रों में पर्यटन की अपार संभावना होने के बावजूद इस ओर किसी भी सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया।

शिक्षा के नाम पर छोटा भंगाल के मल्थान मे महाविद्यालय तो बना दिया है परन्तु भवन व स्टाफ की समस्या से हमेशा दो चार होना पड़ रहा है। दोनों क्षेत्रों में तकनीकी संस्थान न होने के कारण बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने जोगिंदर नगर, मंडी व बैजनाथ जाना पड़ रहा है। जिससे भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

सभी पंचायत प्रधानों सहित समस्त लोगों का कहना है कि ओर भी बहुत समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। अब मात्र प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखबिंदर सिंह सुक्खू पर ही पूरी उम्मीद है कि चौहारघाटी, छोटाभंगाल तथा बड़ा भंगाल क्षेत्र को आपस में जोड़कर एक नया विधानसभा क्षेत्र प्राथमिकता के आधार पर बनाया जाए।

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