देश व दुनिया में होगा आयुर्वेद व औषधीय जड़ी बूटी आधारित चिकित्सा पद्धति का आने वाला समय – सतीश शर्मा

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सुरभि न्यूज़

जोगिंदर नगर, 27 मार्च

हिमालयी औषधीय एवं सुगंध पौधे विषय पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि बोले निदेशक आरटीआई

निदेशक हिमाचल प्रदेश राजस्व प्रशिक्षण संस्थान (आरटीआई) जोगिन्दर नगर सतीश शर्मा ने कहा कि देश व दुनिया में आने वाला समय आयुर्वेद एवं जड़ी बूटियां आधारित चिकित्सा पद्धति का होने वाला है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से किया जाना वाला उपचार न केवल बीमारी को जड़ से समाप्त करता है बल्कि इसके कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होते हैं। सतीश शर्मा आज राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तरी भारत-एक एवं अनुसंधान संस्थान, भारतीय चिकित्सा पद्धति जोगिन्दर नगर द्वारा संयुक्त रूप से हिमालयी औषधीय एवं सुगंध पौधे चुनौतियां एवं समाधान विषय को लेकर हितधारकों के लिए आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन के शुभारंभ में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। दो दिनों तक आयोजित किये जा रहे इस सम्मेलन में हिमाचल प्रदेश के सात जिलों के लगभग 150 से अधिक हितधारक किसान भाग ले रहे हैं। इस मौके पर राजस्व प्रशिक्षण संस्थान के संयुक्त निदेशक संजय कुमार भी विशेष अतिथि के तौर पर मौजूद रहे।

सतीश शर्मा ने कहा कि अब दुनिया धीरे-धीरे आयुर्वेद एवं जड़ी बूटी आधारित चिकित्सा पद्धति की ओर बढ़ रही है। वर्तमान में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के तौर पर विभिन्न बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन जल्द ही यह चिकित्सा पद्धति मुख्य चिकित्सा पद्धति के तौर पर स्थापित होने वाली है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद एवं जड़ी बूटी आधारित चिकित्सा पद्धति न केवल हमारे सामाजिक ढांचे का अहम हिस्सा रही है बल्कि प्राचीन समय में ग्रामीण एवं दूर दराज क्षेत्रों में इसी पद्धति के माध्यम से उपचार किया जाता रहा है।निदेशक ने हिमालयी औषधीय एवं सुगंध पौधे चुनौतियां एवं

समाधान विषय पर आयोजित की जा रही इस दो दिवसीय सम्मेलन में जहां प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए हित धारकों की समस्याओं का व्यापक समाधान कर एक बेहतरीन दिशा देने पर बल दिया तो वहीं सुगंधित पौधों के उत्पादन व व्यापार से जुड़ी अन्य चुनौतियों के व्यापक समाधान करने पर भी जोर दिया। साथ ही कहा कि जड़ी बूटियों के क्षेत्र में कार्य शुरू करने से पहले संबंधित संस्थान किसानों की मिट्टी की जांच करने के साथ-साथ, क्षेत्र की जलवायु का व्यापक अध्ययन कर उनका मार्गदर्शन करे ताकि किसान सही स्थान पर सही जड़ी बूटियों का उत्पादन कर अपनी आर्थिकी को मजबूती प्रदान कर सके। इसके साथ-साथ किसानों द्वारा तैयार उत्पादों के उचित विपणन पर भी बल दिया ताकि उत्पादकों को उनकी तैयार फसलों से उचित दाम मिल सके।    सतीश शर्मा ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि सुगंधित जड़ी बूटियों के उत्पादन एवं विपणन की दिशा में राष्ट्रीय औषध पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय भारत सरकार का क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र एवं अनुसंधान संस्थान, भारतीय चिकित्सा पद्धति जोगिन्दर नगर के प्रयास संबंधित हितधारकों के लिए कारगर सिद्ध होंगे। इससे पहले उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर इस दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ किया।

इस मौके पर संत भामा इंडस्ट्री, मंडी के महा प्रबंधक सुरेंद्र मोहन ने हिमाचल प्रदेश में सुगंधित फसलें तथा इनके मूल्य संवर्धन एवं विपणन पर विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की जलवायु सुगंधित पौधों की खेती के लिए उत्तम है तथा इस क्षेत्र में आगे बढ़ने की अनेक संभावनाएं मौजूद हैं। उन्होंने किसानों से अपने क्षेत्र की जलवायु आधारित औषधीय व सुगंधित पौधों की खेती से जुडऩे का आह्वान किया।

इसी बीच राजकीय महाविद्यालय मंडी की प्रो. तारा सेन ने उपस्थित किसानों को भोजन के रूप में औषधीय पौधों की जैव विविधता विषय पर व्यापक जानकारी साझा की।

इससे पहले क्षेत्रीय निदेशक, क्षेत्रीय एवं सुगमता केंद्र उत्तरी भारत-एक स्थित जोगिन्दर नगर डॉ. अरुण चंदन ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए हिमालयी औषधीय एवं सुगंध पौधे चुनौतियां एवं समाधान विषय को लेकर हितधारकों के लिए आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन की विस्तृत जानकारी दी।

प्रभारी अनुसंधान संस्थान, भारतीय चिकित्सा पद्धति जोगिन्दर नगर उज्जवल दीप सिंह ने मुख्यातिथि सहित सभी अतिथियों एवं हितधारकों का इस दो दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए आभार जताया।

इस मौके पर डॉ. अरुण चंदन व उज्जवल दीप सिंह के अतिरिक्त उप मंडलीय आयुर्वेद चिकित्साधिकारी जोगिन्दर नगर डॉ. रक्षक पाल, उप मंडलीय आयुर्वेद चिकित्साधिकारी बैजनाथ डॉ. विक्रम, डॉ. पंकज पालसरा, बीएस राणा, डॉ. सुनील सहित अन्य गण्यमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।

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