लाहुल-स्पीति क्षेत्र की संवेदनशील जलवायु, पारिस्थितिकी और जनजातीय अधिकारों को नजरअंदाज कर सरकार ने लिया हाइड्रो प्रोजेक्ट्स का समझौता – एकता मंच 

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सुरभि न्यूज़

प्रताप अरनोट, लाहुल-स्पीति

हिमाचल सरकार ने तेलंगाना सरकार के साथ 29 मार्च 2025 को मियार (120 मेगावाट) और सेली (400 मेगावाट) जलविद्युत परियोजनाओं के लिए एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह निर्णय क्षेत्र की संवेदनशील जलवायु, पारिस्थितिकी और जनजातीय अधिकारों को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए लिया गया है।

लाहुल स्पीति एकता मंच के बैनर तले लाहौल स्पीति के सभी जनसंगठनों ने प्रदेश सरकार के इस निर्णय के विरुद्ध एकमत होकर बड़े जनआंदोलन की चेतावनी दी है।

मंच के संयोजक रिगज़िन हायरप्पा और अध्यक्ष सुदर्शन जस्पा ने कहा कि स्थानीय जनता की भावनाओं के उलट हिमाचल सरकार लाहौल स्पीति ज़िले के अस्तित्व को समाप्त करने पर तुली हुई है जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा तथा अपने हितों की रक्षा के लिए लोग अब निर्णायक लड़ाई के लिए तैयार हैं।

ज़िले के विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधियों में सेव लाहौल स्पीति से बी एस राणा, प्रेम चंद कटोच, विक्रम कटोच, प्रेम लाल योतरपा, जिला परिषद् सदस्य कुंगा बोध, प्रधान खोकसर सचिन मेरूपा, चंदरभागा संघर्ष समिति से ही राम गौड़, जल, जंगल , जमीन और शिक्षा सुरक्षा समिति के अध्यक्ष प्रेम लाल, स्पीति सिविल सोसाइटी से सोनम तरगे, तन्ज़िन तकपा, जन चेतना समिति से नवांग ताम्बा, रणजीत क्रोफा, ग्रामीण युवा संगठन एवं शैली संघर्ष समिति से सुदर्शन ठाकुर, वीरेंदर ठाकुर, जिस्पा बांध संघर्ष समिति से पदमा ठिल्ले, तन्ज़िन कटोच और तांदी संघर्ष समिति से विनोद कुमार लारजे, अरुण राणा ने सरकार से इस समझौते को तत्काल रद्द करने की मांग की है और चेतावनी दी है कि यदि इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो बड़े पैमाने पर जनआंदोलन खड़ा होगा।

 

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