एनएचपीसी ने 800 मेगावाट पार्वती-द्वितीय जलविद्युत परियोजना की सभी चार इकाइयों के सफल कमीशनिंग के साथ रचा ऐतिहासिक कीर्तिमान 

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सुरभि न्यूज़

प्रताप सिंह अरनोट, नगवाई

भारत के स्वच्छ ऊर्जा संकल्प की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाते हुए, एनएचपीसी लिमिटेड ने अपनी प्रतिष्ठित 800 मेगावाट पार्वती-द्वितीय जलविद्युत परियोजना की पूर्ण कमीशनिंग की घोषणा की है। परियोजना की चौथी और अंतिम इकाई को 16 अप्रैल, 2025 को मध्यरात्रि 00:00 बजे व्यावसायिक उत्पादन के लिए तैयार घोषित किया गया, जिससे सभी चारों इकाइयों की कमीशनिंग प्रक्रिया पूर्ण हो गई।

इससे पहले, 1 अप्रैल, 2025 को, परियोजना की पहली तीन इकाइयों ने भी सफलतापूर्वक मध्यरात्रि 00:00 बजे व्यावसायिक उत्पादन प्रारंभ कर दिया था, जिससे इस ऊँचाई पर स्थित अद्वितीय परियोजना से औपचारिक रूप से विद्युत उत्पादन शुरू हो गया है ।

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले के मनोरम और दुर्गम पर्वतीय भूभाग में स्थित पार्वती-द्वितीय परियोजना ‘रन-ऑफ-द-रिवर’ प्रकार की जलविद्युत परियोजना है, जो अपनी विशालता और तकनीकी जटिलता के लिए जानी जाती है।

पार्वती नदी का प्रवाह, पुलगा गांव के समीप 83.7 मीटर ऊँचे कंक्रीट ग्रैविटी बांध द्वारा रोका गया है और वहाँ से 31.56 किलोमीटर लंबी हेड रेस टनल है, जो भारत की सबसे लंबी सुरंग है, के माध्यम से सैंज घाटी स्थित सिउंड के पावर हाउस तक प्रवाहित की जा रही है। 863 मीटर की ऊँचाई से नदी के प्रवाह के कारण चार 200 मेगावाट क्षमता वाली पेल्टन टर्बाइनों के माध्यम से बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।

सुरंग में पाँच प्राकृतिक जलधाराएँ मिलने से नदी का प्रवाह और बढ़ता है, वहीं दो झुकी हुई प्रेशर शाफ्ट, प्रत्येक 1.5 किलोमीटर से भी अधिक लंबी, जो टनल बोरिंग मशीनों से बनाई गई हैं, विश्व में अपनी तरह की सबसे लंबी inclined प्रेशर शाफ्ट हैं।

पार्वती-द्वितीय परियोजना के पूर्ण रूप से चालू हो जाने के साथ ही एनएचपीसी की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता 8,140.04 मेगावाट तक पहुँच गई है, जिसमें जलविद्युत, सौर और पवन ऊर्जा शामिल है।

यह परियोजना प्रतिवर्ष अनुमानित 3,074 मिलियन यूनिट स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करेगी और इससे डाउनस्ट्रीम में स्थित 520 मेगावाट पार्वती-तृतीय पावर स्टेशन की उत्पादन क्षमता में भी लगभग 1,262 मिलियन यूनिट प्रतिवर्ष की बढ़ोत्तरी होगी।

इस परियोजना के निर्माण से हिमाचल प्रदेश सरकार को उत्पादित विद्युत का 12% नि:शुल्क प्रदान किया जाएगा, जबकि अतिरिक्त 1% स्थानीय क्षेत्र विकास पहलों के समर्थन हेतु आवंटित किया जाएगा।

इस परियोजना की कमीशनिंग उस राष्ट्रीय स्वप्न की सिद्धि है जिसकी आधारशिला आज से दो दशक पूर्व, दिसंबर 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा रखी गई थी। परियोजना को सितंबर 2002 में ₹3,919.59 करोड़ की स्वीकृत लागत के साथ मंजूरी मिली थी।

इस दौरान परियोजना ने अनेक प्राकृतिक और भूगर्भीय चुनौतियों का सामना किया (बादल फटना, बाढ़, गाद से भरे प्रवाह और अप्रत्याशित शीयर ज़ोन) लेकिन एनएचपीसी की अटल प्रतिबद्धता कभी डगमगाई नहीं। अनुमानित ₹13,045 करोड़ की लागत से पूर्ण हुई पार्वती-द्वितीय परियोजना आज मानवीय संकल्प और अभियांत्रिक कौशल का भव्य प्रतीक बन चुकी है।

1 Comment

  1. स्थानीय लोगों के लिए इसका कोई लाभ नहीं पहुंचा ही बल्कि सैंज घाटी के लिए ये खतरा साबित हुआ ही विश्व की सबसे बड़ी सुरंग या विश्व का सबसे बड़ा प्रोजेक कोई बड़ी बात नहीं ही इस के नुकसान सिर्फ स्थानीय लोगों को भुगतने पड़ रहे हैं जिसमे जलवायु परिवर्तन जैसे की बाढ़ आना, गर्मी पड़ना, नदियों का सुखना,पीने के पानी के सोर्स सूख रहे है,जिसका मुख्य कारण मैं सुरंगों को मानता हूं,अत्यधिक सुखा पड़ना, जिस कारण लोगों की फसलें नहीं हो रही, कुछ प्रजाति के पशु पक्षी या तो पलायन कर गए हैं या फिर लुप्त हो गए हैं जो की मैने अपने 6 से 7 वर्षों मैं ऑबजर्ब किया है स्थानीय लोग भी इस बारे एम इसलिए बात नही कर रहे ह वा की या तो वे ज्यादा पढ़े लिखे नहीं ही या वे इन चीजों को समझ नहीं पा रहे है, मैं NHPC से सिर्फ इतना चाहता हूं की वो इन चीजों पे ध्यान दे plantation करवाए, लोगों को सिंचाई की व्यवस्था करवाए स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करे जो की इस चीज से प्रभावित है।

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