सुरभि न्यूज़
भारडू, जोगिंदर नगर : 17 मई
दो दशक से सड़क खुलने का इंतजार कर रहे कई गांवों के वाशिंदे सड़क खुलवाने की मांग पर जिला परिषद सदस्य एवं किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष कुशाल भारद्वाज के नेतृत्व में लोक निर्माण विभाग मण्डल जोगिंदर नगर के अधिशाषी अभियंता से मिले तथा बेवजह बंद की गई सड़क को जल्दी खुलवाने की मांग की। इस प्रतिनिधिमंडल में श्याम सिंह, जय सिंह, रमेश चंद, रूप चंद सहित अन्य ग्रामीण तथा पंचायत प्रधान सीमा भी शामिल रहे।
इस अवसर पर कुशाल भारद्वाज ने कहा जिस सड़क के निर्माण में करोड़ों रूपया खर्च हुआ है वह निर्माण के कुछ समय बाद भूस्खलन के चलते 20 वर्षों से बंद पड़ी है तथा सड़क से लाभान्वित होने वाले 5 गांवों ज़्यादातर दलित परिवार हैं इसलिए इस सड़क को कुछ लोगों के दबाव के चलते विभाग कोई कार्यवाही ही नहीं करता है। इससे हमारी सरकारों और विभागीय अधिकारियों की दलित विरोधी मानसिकता भी उजागर होती है। उन्होंने कहा कि दो दशक पहले भराड़ू, कस व नेरघरवासड़ा पंचायतों को आपस में जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत कूनडूनी- कस- भौरा- गड़ूही के लिए हरिजन बस्ती सड़क मंजूर हुई थी। इस सड़क पर बस सेवा शुरू करने के उद्देश्य से 21 वर्ष पहले सड़क का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। सड़क बनकर तैयार भी हुई थी, लेकिन एक जगह भूस्खलन होने के चलते यह सड़क वर्ष 2009 से बंद पड़ी है।
कुशाल भारद्वाज ने बताया कि वर्ष 2006 में इस सड़क का निर्माण कार्य हुआ था तथा उसके बाद इस सड़क पर वाहन चलने भी शुरू हुए थे, लेकिन राजकीय प्राथमिक पाठशाला भौरा के समीप भूस्खलन के कारण यह सड़क बंद हो गई। जब दोबारा सड़क को खोलने की कवायद शुरू हुई तो किसी ने इस बारे कोर्ट से स्टे ले लिया। हालांकि कोर्ट ने कई साल पहले ही स्टे हटा दिया है, लेकिन सड़क अभी भी बंद पड़ी है। गड़ूही व भौरा गांवों के गरीब किसानों विशेषकर अनुसूचित जाति के परिवारों ने जिनके पास पहले से ही बहुत कम मलकीयत भूमि है, ने इस सार्वजनिक कार्य हेतु अपनी उपजाऊ भूमि दान की है। अपनी जमीन खोने के लगभग अढ़ाई दशक बाद भी ये दलित परिवार और अन्य लोग सड़क सुविधा से वंचित हैं।
उन्होंने कहा कि कोर्ट से स्टे हटने के बाद और वन विभाग द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद भी जब लंबे समय से सड़क को खोलने के लिए कोई कार्य नहीं हुआ तो गड़ूही, भौरा, ग्योला, घरासी, कस, रक्कड़, कटवाली गांवों की जनता ने इस बारे में मुझ से भी मदद मांगी तो मैंने जिला परिषद में भी इस मुद्दे को उठाया तथा तत्कालीन अधिशाषी अभियंता के समक्ष भी बात रखी तथा सड़क खुलवाने की मांग की। बार-बार बोलने पर भी जब विभाग ने कोई पहल नहीं की तो सितंबर 2022 में जनता को साथ ला कर हमें अधिशाषी अभियंता कार्यालय के अंदर धरना देकर कई घंटे तक तत्कालीन अधिकारियों का घेराव करने के लिए विवश होना पड़ा था। इसके बाद बनी सहमति के आधार पर दो दिन बाद ही तत्कालीन अधिशाशी अभियंता के आदेश पर सड़क खोलने के लिए विभाग ने जेसीबी व स्टाफ भेजा, लेकिन मौके पर मौजूद कुछ विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत से निर्धारित फॉरेस्ट क्लियरेंस वाली जमीन से सड़क निकालने के बजाए उसे किसी की मलकीयत भूमि की तरफ मोड़ा गया, जिस कारण उनके विरोध के चलते सड़क का निर्माण कार्य रोक दिया गया।
कुशाल भारद्वाज ने कहा कि विभाग द्वारा 2022 में भी अचानक से कार्य स्थल से जेसीबी हटा दी गई। इसके बाद जब हम फिर से लोक निर्माण विभाग के कार्यालय में सड़क को खुलवाने के लिए पहुंचे तो विभाग ने फिर से जमीन की निशानदेही के लिए राजस्व विभाग को पत्र लिखा। जबकि जमीन की निशानदेही तो पहले भी हो चुकी थी और जिधर से सड़क निकलनी थी वहाँ कोई निजी भूमि नहीं थी। उन्होंने अधिशाषी अभियंता से इस मामले में आवश्यक कार्यवाही करते हुए कई गांवों के गरीब दलित परिवारों (जिन्होंने अपनी भूमि इस सड़क के निर्माण के लिए दान की है) व अन्य स्थानीय वाशिंदों को सड़क सुविधा दिलाने की मांग की। उन्होंने कहा कि दलित परिवारों से चिढ़ने के कारण ही कुछ लोगों की मिलीभगत के चलते 2022 में भी जानबूझ कर सड़क को नीचे किसी की निजी भूमि की तरफ जानबूझ कर मोड़ा गया ताकि इसके कार्य को बंद करने का बहाना मिल जाये। उन्होंने कहा कि यदि सही दिशा में यह सड़क निकाली गई तो किसी की निजी भूमि भी इसमें नहीं जाएगी। वैसे भी सड़क दोनों तरफ बनी है सिर्फ 25-30 मीटर का क्षेत्र है जो बंद पड़ा है। सड़क निर्माण का जितना काम शेष रहता है, वह कुछ घंटों में भी पूरा हो सकता है। अतः आप से अनुरोध है कि शीघ्र अति शीघ्र इस मामले में कार्यवाही करें ताकि वाहनों का दोनों तरफ आना जाना शुरू हो सके।