साहित्य : कल्याण कला मंच बिलासपुर द्वारा ऑपरेशन सिंदूर पर काव्य गोष्ठी आयोजित 

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सुरभि न्यूज़

चांद पुर, बिलासपुर

कल्याण कला मंच बिलासपुर ने नगर बिलासपुर की तलहटी और सतलुज नदी के सानिध्य में साहित्य संगोष्ठी का आयोजन किया। ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित इस कविगोष्ठी की अध्यक्षता मंच के मुख्य संरक्षक डा लेख राम शर्मा ने की जबकि तृप्ता कौर मुसाफिर ने मंच संचालन किया।

सर्व प्रथम कल्लर के नन्हें कवि मनीष कुमार ने- चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है सुना कर देश प्रेम का जज्वा पैदा कर दिया। उसके बाद दनोह के शिक्षक रवींद्र शर्मा ने समुद्र तेरे उदर में पनपते हैं जबकि डियारा के हस्ताक्षर रविंद्र भट्टा ने- करोडों लोग हैं दुनिया में कविता सुनाई। भराडी के बृज लाल लखनपाल ने- हम हिन्दु राष्ट्र बनाएंगे, झंडूता की रचना चंदेल ने-क्या है सिंदूर की कीमत भारत ने बत लाया है, डिआरा के तेज राम तेजस् ने- जागो अब तो जागो छोटी छोटी बातों के पीछे ना भागो, शिव नाथ सहगल ने- याद ना जाए बीते दिनों की, घुमारवीं के शिक्षक धर्म चंद धीमान ने- फन अब इसका कुचलना होगा, जुखाला के बाबू राम धीमान ने- तो क्या ये ऑपरेशन होता सिंदूर, रौडा के शिक्षाविद जीत राम सुमन ने- कायरता का चोला ओढ़े तूने छुआ था ए पाक, आयोजक चंद्र शेखर पंत ने- अब तो खेत खलीहानों में भी बारुद बोया जाता है, डियारा के कर्म वीर कंडेरा नें- हां मुझ को इक ऐसे साथ की जरूरत है जो मुझे टूटने ना दे, फिर निचली भटेड के अनिल शर्मा नील ने- सर पर दायित्व हैँ बहुत ज्यादा, सुना कर वाह वाही लूटी। अध्यपिका रुचि का शर्मा ने अंग्रेजी में व हैन लव वाज इन द एयर, वीरेन्द्र दत्त शर्मा नें – अशांत हूं उद्विगन हूं, तरेड के रविंद्र कमल चंदेल ने- पाकिस्तान कहो या आतंकिस्तान कहों, बाबू राम ने- धर्म पूछ कर गर गोली ना मारते, रौडा के राम पाल डोगरा ने- वक्त जा रहा हाथ से निकल, कागज पर लिख क्या हासिल, रोहित राणा ने – नीके नीके बालू चुल दे चिलां रे डालू , धर्म चंद ने- रह रह कर जो फन उठाता डसता फिर बिल छुप जाता, पत्रकार शिवानी ने- मौन है सच, सत्य का प्रतिशोध,  कल्लर की पूजा नें गीत- सोहनी सोहनी से शिमले री सड़कां जींदे, डियारा के सुख राम आज़ाद ने- कयी चेहरों सा दिखने लगा है अब चेहरा, मंच संचालक तृप्ता कौर मुसाफिर ने- बेडिया रे ठेकेदारा आयां वारा जो ओ पाईआ नयाँ पारा जो, फिर मंच के प्रधान सुरेन्द्र मिन्हास ने- ओ दुष्ट भाई तू क्या जानें, पल में मिटा डाला तेरा गरुर, और फिर अंत में कार्य क्रम के अध्यक्ष डा लेख राम शर्मा ने कार्यक्रम की प्रत्येक प्रस्तुति को पूरे अंक देते हुए अपनी रचना यूं बयां की- ओ गुम राह साथिया तू किस रिया चाला आई गया किनिए किती तेरी बुद्धि भ्रष्ट, सुना कर समापन किया। संगोष्ठी में समूचे जिला से पैंतीस के करिब कलाकार और कलमकार उपस्थित थे।

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