सुरभि न्यूज़
प्रताप अरनोट, कुल्लू
रंगकर्मी केहर सिंह ठाकुर के नेतृत्व में ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन कुल्लू द्वारा कुल्लू में आसपास के सरकारी स्कूलों में बच्चों से सर्वांगींण विकास के लिए आयोजित की जा रही 21 से 30 दिवसीय नाट्य कार्यशालाओं में पहली कार्यशाला का समापन राजकीय वरिश्ठ माध्यमिक पाठशाला मौहल में समापन हुआ।
इस कार्यशाला का संचालन संस्था के प्रशिक्षित युवा रंगकर्मी परमानन्द पिंकू ने किया। 30 बच्चों ने इस कार्यशाला में भाग लिया और इस दौरान बच्चों के बच्चों के साथ ग्रिम्स फेयरी टेल्स की कहानियों पर आधरित एक लघु नाटक ‘सोने की चिड़िया’ भी तैयार किया गया था। उक्त नाटक का मंचन कार्यशाला के समापन अवसर पर विद्यालय प्रांगण में प्रतिभागी बच्चों ने छात्रों व अध्यापकों के समक्ष सफलतापूर्वक किया।
नाटक की कहानी ऐसी हैं कि एक पहाड़ी राज्य में एक राजा के बगीचे में एक सोने के सेब का पेड़ होता है उस पेड़ से रोज़ एक सेब चोरी होता है तो छोटा राजकुमार पता लगाता है कि वह सेब एक सोने की चिड़िया चुराती है तो राजा के बड़े बेटे उस सोने की चिड़िया को खोजने निकल पड़ते हैं। रास्ते में उन्हें एक लोमड़ी मिलती है वह लोमड़ी उन्हें कहती है कि तुम साधारण सी सराय में रूकना और भोग विलास में मत पड़ना। लेकिन वह दोनों राजकुमार उसकी बात को अनसुना कर देते हैं और अपना मकसद भूल जाते हैं। फिर छोटा राजकुमार चिड़िया की खोज में निकलता है और उसे भी वही लोमड़ी मिलती है और वह लोमड़ी की बात मान लेता है और जैसा जैसा लोमड़ी बोलती है वह बिलकुल वैसा करता है। शुरूआत में उसे काफी मुश्किल होती है लेकिन बाद में वह होशियारी से काम लेता है और सोने की चिड़िया, सोने का घोड़ा और राजकुमारी को हासिल कर लेता है। एक जगह राजकुमार देखता है कि दो लोगों को फांसी दी जाने वाली है और वे दो लोग और कोई नहीं बल्कि उसके भाई हैं। वह उन दोनों को वहां से बचा ले आता है परन्तु वे दोनों उसे धोखे से कुएं में फेंक देते हैं और सोने की चिड़िया, सोने का घोड़ा और राजकुमारी को महल ले जाते हैं और कहते हैं कि ये सब हमने लाए हैं। अब लोमड़ी छोटे राजकुमार की फिर मदद करती है और उसे कुएं से निकाल कर उसे महल भेजती हैं। महल में आकर वह सारी बात अपने पिता को विस्तार से बताता है तो राजा उन दोनों बड़े भाईयों को राज्य से निश्कासित कर देता है और छोटे बेटे को युवराज घोषित कर देता है।
दीक्षा, रिदिमा, नव्या, सिमरन, अक्षिता, सुमित, योगिता, अभिनव, जतिन, रोहित, सौरभ, साहिल, विक्की, इन्दु, कृश्णा, मुकेश, आरूशी, हिमानी, अनुश्का, गायत्री, कल्याणी, रितेष्वर, वंशल, भविश्या, प्रतिक्षा, रूचिका, गीतिका, सोनाक्षी, सलोनी, काजोल, कंगना, हिमांशु, दीक्षित, अबू व विक्रम आदि बच्चों ने अपनी अपनी भूमिकाओं से सबका दिल जीता। विद्यालय के प्राधानाचार्य प्रेम ठाकुर ने कहा कि बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए बहुत आवश्यक हैं और ऐक्टिव मोनाल संस्था से अनुरोध किया कि भविष्य में भी बच्चों के साथ इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन करें।