आजादी के बाद आज तक किसी भी सरकार ने बड़ा भंगाल पंचायत वासियों के दर्द को नहीं समझा – मनसा राम भंगालिया

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सुरभि न्यूज़

खुशी राम ठाकुर, बरोट

जिला कांगडा की अति दुर्गम बड़ा भंगाल क्षेत्र कि इकलौती पंचायत जो कि आज़ादी के लगभग सात दशक बाद भी सड़क सुविधा से नहीं जुड़ पाई है और न ही इस पंचायत को अभी तक मूलभूत सुविधाएं मिल पाई है। बड़ा भंगाल वासियों तथा पंचायत स्तर पर कई बार मांग करने के बावजूद भी आजतक सता में रहने वाली कोई भी सरकार पंचयात के लोगों के लिए मूलभूत सुविधा प्रदान करने में नाकाम रही है।

बड़ा भंगाल पंचायत के प्रधान मनसा राम भंगालिया ने मिडिया को जानकारी देते हुए बताया कि बड़ा भंगाल क्षेत्र में मात्र एक गाँव है और इसी नाम से पंचायत का नामकरण किया गया है। गांव में मौजूदा समय में 78 परिवार है जिसमें लगभग 680 क़ी आवादी है। उन्होंने बताया कि पंचायत में बिजली क़ी सुविधा के नाम पर वर्ष 2021 में भाजपा सरकार ने हिम उर्जा द्वारा बिजली आपूर्ति के लिए पहला सोलर लाईट का प्राबधान किया गया है जिससे गाँव में उजाला हुआ है।

फोटो -साभार

हालांकि स्वास्थय सुविधा के लिए आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी लगभग 25 वर्ष पूर्व स्थापित की गई है मगर हैरानी की बात यह है कि लगभग 12 वर्षों से डिस्पेंसरी में फार्मासिस्ट के साथ कोई भी कर्मचारी न होने से गत कई वर्षों से डिस्पेंसरी पर ताला लगा हुआ है।

वहीं सरकार ने शिक्षा सुविधा के लिए पहले प्राथमिक, उसके बाद मिडल तथा वर्ष 2000 में इसका दर्जा बढ़ाकर हाई स्कूल तो कर दिया गया है मगर इस पाठशाला में गत लगभग पांच वर्षों से अध्यापकों के विभिन्न पद खाली चले हुए हैं। वर्तमान समय में पाठशाला में शारीरिक, नॉन मेडिकल, कला अध्यापक और शास्त्री अध्यापक ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्राइमरी स्कूल में सात बच्चे, हाई स्कूल में तीन बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे है। स्कूल में अध्यापक नहीं होने के कारण अभिभावक अपने बच्चे निचले क्षेत्रों में पढ़ने भेज देते है।

संचार एवं डाक सुविधा के नाम पर मात्र जिला प्रशासन द्वारा एक वायरलेस सेट दिया गया है। आजादी से आज तक कोई भी मोबाइल कम्पनी अपनी सुविधा इस दुर्गम क्षेत्र नहीं दे पाई है।

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मनसा राम भंगालिया ने बताया कि दुर्गम पंचायत के लिए आजतक सड़क सुविधा न होने के चलते छोटा भंगाल के लिए बड़ा ग्रां से होते हुए पैदल व खाद्य आपूर्ति घोड़े के माध्यम से जंगली, उबड खाबड़ व खड़ी चढाई के रास्ते से होते हुए लगभग अठारह हज़ार फुट की ऊँचाई बर्फिले थमसर जोत को पार कर पंचायत तक लगभग साठ किलोमीटर का सफर तय कर दो से तीन दिन में पहुंचाया जाता है। पथरीले और कठिन रास्ते पर घोडे चालकों और पैदल सफर करने वाले राहगीरों को भारी जोखिम उठाना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि पंचायत के लोग मक्खी, राजमा, गेहूं, सीऊल तथा मटर के खेती करते है जिसमें किसी भी रसायन खाद प्रयोग नहीं करते मात्र गाय का गोबर व भेड़ बकरियों की खाद प्रयोग कर प्राकृतिक खेती कर अनाज इस्तेमाल करते है। अब गाँववासी अपने लिए सेब की फसल भी करने लगे है।

ग्राम पंचायत के लोग बहुत ही कठिनाईपूर्ण और जोखिम भरा जीवन यापन करते आ रहे है। ऐसी कठिन भौगोलिक परिस्थियों में जीवन व्यतीत करना बहुत बड़ी चुनौती है। लोगों ने सरकार से पंचायत को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने तथा मूलभूत सुविधा जुटाने क़ी मांग कई बार उठा चुके है लेकिन आजादी के बाद आज तक किसी भी सरकार ने पंचायत वासियों के दर्द को नहीं समझा। मनसा राम भंगालिया ने एक बार फिर से प्रदेश सरकार तथा केन्द्र सरकार से मांग की है कि पंचायत को सभी मूलभूत सुविधाएं प्रदान करने के साथ जनजाति क्षेत्र घोषित किया जाए।

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