जिला परिषद सदस्य के साथ आए प्रतिनिधिमंडल ने खोला मोर्चा, अधिशाषी अभियंता को जिद छोड़ कर लेना पड़ा ज्ञापन

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सुरभि न्यूज़

जोगिंदर नगर, 18 जून

जोगिंदर नगर के गड़ूही-भौरा-कस की बंद पड़ी सड़क को खुलवाने हेतु जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज के नेतृत्व में ज्ञापन देने आए दो पंचायतों के लोगों का ज्ञापन लेने से लोक निर्माण विभाग के जोगिंदर नगर मण्डल के अधिशाषी अभियंता द्वारा ज्ञापन लेने से इंकार करने तथा उन्हें मिलने के लिए पहले एसडीएम की अनुमति लाने का फरमान जारी करने के विरोध में पुलिस की उपस्थिति में जोरदार प्रदर्शन हुआ।

हिमाचल किसान सभा के राज्य उपाध्यक्ष तथा भराडू वार्ड से जिला परिषद सदस्य कुशाल ने बताया कि एक महीना पहले 16 मई 2025 को गड़ूही-भौरा-कस सड़क बारे संबन्धित गांवों के किसानों व अन्य लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल अधिशाषी अभियंता से मिला था। उस दिन भी उन्होंने प्रतिनिधिमंडल पर धौंस जमानी शुरू की थी तथा कहने लगे कि किसी राजनीतिज्ञ से मिलो। लेकिन उनके इस रवैये के खिलाफ हमने उनको लताड़ लगाई तो अपने सुर बदलते हुए अधिशाषी अभियंता ने कहा कि इन सारी मांगों को आप अपने लेटर पैड पर लिख कर दे दो। अगली सुबह यानि 17 मई को मैंने उनको इस सड़क के मुद्दे पर दो पन्नों का एक पत्र अपने जिला परिषद के लेटर पैड पर लिख कर दिया तथा उनसे मांग की कि आप स्वयं मौके पर जा कर स्पॉट का निरक्षण कर लें।

एक महीना पूरा होने पर भी जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो आज फिर से दोनों पंचायतों के लोगों का प्रतिनिधिमंडल ने कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया और उसके बाद जब 3-4 लोग अधिशाषी अभियंता को ज्ञापन देने के लिए जाने लगे तो मुख्य गेट पर ही पुलिस ने हमें यह कहते हुए रोक दिया कि अधिशाषी अभियंता ने कहा है कि उन्हें मिलने गेट के अंदर तभी आ सकते हैं यदि एसडीएम से इस संबंध में परमिशन लेटर साथ लाएँगे तो। पुलिस ने मुझे भी गेट के बाहर रोकने की कोशिश की गई।

जिला परिषद सदस्य ने कहा कि अब 4 लोग नहीं बल्कि सब लोग ज्ञापन देने अंदर जाएँगे और वे सब अंदर प्रवेश कर कार्यालय के बाहर कॉरीडोर में पहुँच गए। वहाँ दरवाजे पर मौजूद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने बताया कि अभी साहब की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक चल रही है। इसलिए हम सब बिना किसी नारे और शोर शराबे के बाहर फर्श पर बैठकर इंतजार करने लगे ताकि उनकी ऑनलाइन बैठक में कोई बाधा न पड़े। तब तक उक्त अधिकारी ने ओर भी पुलिस फोर्स कार्यालय में मंगा ली तथा पुलिस के अधिकारी हमें कहने लगे कि आप पहले एसडीएम से पर्मिशन लेटर लेकर आओ उसके बाद ही आप ज्ञापन देने अंदर जा सकते हैं। इसके बाद मुझे अधीक्षण अभियंता का फोन आया तो मैंने उन्हें भी इस बारे अवगत करवाया कि उक्त अधिकारी बोल रहे हैं कि एसडीएम से लिखित अनुमति पत्र लाये बिना उनके कार्यालय में ज्ञापन देने नहीं आ सकते हैं।

कुशाल भारद्वाज ने कहा कि सारे घटनाक्रम जानने के लिए नायब तहसीलदार तथा थाना से सहायक निरीक्षक भी मौके पर पहुंचे। कुशाल भारद्वाज ने कहा कि हमें जबर्दस्ती रोकने की कोई कोशिश न करें और हम बिना ज्ञापन दिये नहीं जाएँगे। पुलिस के अधिकारियों व अन्य लोगों ने भी अधिशाषी अभियंता को बताया कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि आपसे मिलने के लिए एक जिला परिषद सदस्य और अन्य लोगों को एसडीएम से अनुमति पत्र लाना पड़े। तब जा कर पुलिस की उपस्थिति में ज्ञापन देने के लिए अंदर बुलाया गया।

कुशाल भारद्वाज ने कहा कि अधिशाषी अभियंता ने चुपचाप ज्ञापन लिया उसको पढ़ने की जहमत नहीं उठाई और जब हमने इस मुद्दे पर बात करने का आग्रह किया तो एसएचओ को हमें चुप कराने के लिए बोला कर कार्यालय से बाहर चले गए। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जोगिंदर नगर जैसे महत्वपूर्ण डिवीज़न में एक ऐसे अधिकारी को बिठाया गया है जिसको अपने कर्तव्यों के प्रति कोई परवाह नहीं है और जो तानाशाहों जैसा व्यवहार करता है।

कुशाल भारद्वाज ने कहा की ऐसे उक्त अधिकारी प्रदेश के मुख्यमंत्री और पूरी सरकार को बदनाम कर रहे हैं।  ये वही अधिकारी है जिसके के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मुद्दे सत्तापक्ष और विपक्ष के लोगों ने लगाए हैं जो छोटे-छोटे ठेकेदारों से बहुत ही ज्यादा बदतमीजी करता है। उन्होंने कहा कि मैं प्रदेश के मुख्यमंत्री से भी अपील करता हूँ कि ऐसे अधिकारी के खिलाफ तुरंत कार्यवाही की जाए। एक अधिकारी सरकार का चेहरा होता हैं और यदि ऐसा ही अधिकारी जिम्मेदार कार्यलय में बिठाना है तो सरकार की छवि भी जनता के बीच ऐसी ही बनेगी।

इसके बाद संबन्धित गांवों के लोगों का प्रतिनिधिमंडल कुशाल भारद्वाज के नेतृत्व में एसडीएम से तथा अधीक्षण अभियंता से भी मिला तथा उनको सारी स्थिति से अवगत करवाया। एसडीएम साहब ने आश्वस्त किया कि वे सड़क खुलवाने बारे जल्दी ही कार्यवाही करेंगे। लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता ने भी कहा कि वे खुद इस बारे संज्ञान लेंगे। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि यदि एक सप्ताह के अंदर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो फिर दोनों पंचायतों के लोग अनिश्चितकालीन धरना देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

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