आजिविका से सरंक्षण और सरंक्षण से आजिविका की ओर वन अधिकार कानून 2006 पर बंजार में दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न

Listen to this article

सुरभि न्यूज़ ब्यूरो

परस राम भारती, गुशैनी बंजार

जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार में हिमालय नीति अभियान और सहारा संस्था द्वारा शासन प्रशासन के सहयोग से वन अधिकार कानून 2006 को धरातल स्तर पर लागू करवाने की प्रकिया में तेजी लाई जा रही है। इसी कड़ी में शुक्रवार और शनिवार को बंजार के अम्बेडकर भवन में वन अधिकार कानून को लेकर दो दिवसीय सम्मेलन व कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में लगभग 200 उपमंडल बंजार की वन अधिकार कमेटियों के पदाधिकारी एवं सदस्यों महिला व पुरषों  ने भाग लिया।

इस दौरान देश व प्रदेशभर से आए विशेषज्ञ, पंचायतीराज संस्थाओं के जनप्रतिनिधि, सरकारी विभागों के अधिकारी व कर्मचारी और विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के पदाधिकारी एवं सदस्य विषेष रूप से उपस्थित रहे।

सहारा संस्था और हिमालय नीति अभियान के पदाधिकारियों द्वारा प्रथम दिन के सत्र में बाहरी राज्यों से आए विषेष अतिथियों का पारंपरिक तरीके से कुल्लुवी टोपी पहनाकर स्वागत किया गया। इस दौरान हिमालय नीति अभियान के प्रदेश अध्यक्ष एवं विख्यात पर्यावरणविद कुलभूषण उपमन्यु बतौर मुख्य अतिथि मौजुद रहे। इस कार्यशाला के प्रथम सत्र में देश व प्रदेशभर से आए विशेषज्ञों ने जो विभिन्न राज्यों में कार्य कर रहे और देश के स्वैच्छिक संगठनों से जुड़े हुए है ने अपने-अपने राज्यों में वन अधिकार कानून को लागू करने और उनके हक हकूक दिलाए जाने को लेकर अपने संघर्षों और अनुभवों को साझा किया है। हिमालय नीति आभियान और सहारा संस्था से जुड़े पदाधिकारियों ने लोगों से वन अधिकारों को लेकर जागरूक होने का आह्वाहन किया है। आजिविका से सरंक्षण और सरंक्षण से आजिविका की ओर नीति को जन विकास के लिए बेहद जरूरी बताया है।

दो दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर उपमंडल स्तरीय समिति के अध्यक्ष एवं एसडीएम बंजार हेमचंद वर्मा बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। इसके अलावा तहसीलदार बंजार रमेश कुमार और समिति सदस्य लीला देवी आदि विषेष रूप से उपस्थित रहे।

भारत की संसद द्वारा आदिवासी एवं परंपरागत वनवासियों के लिए वन अधिकार कानून को वर्ष 2006 पारित किया गया था, जिसे 2008 से पूरे देश में लागू कर दिया गया। हिमाचल प्रदेश में भी अब इस कानून को लागू करने की प्रक्रिया ने रफ्तार पकड़ ली है। यह कानून स्थानीय लोगों को अपने जल, जंगल और जमीन के संरक्षण, प्रवंधन और विकास का अधिकार देता है। इस कानून के प्रभावी तरीके से लागू होने पर स्थानीय लोगों के निजी व सामुदायिक पारंपरिक वन अधिकार, खेती व रिहाइश के लिए वन भूमि के उपयोग के अधिकार, लघु वन उपज तथा टीडी इत्यादि के सभी मूल अधिकार बहाल होने है।

गौरतलब है कि वन अधिकार कानून 2006 के अन्तर्गत 13 प्रकार के समुदायक कार्यों को अंजाम देने के लिए वन अधिकार समिति की ग्राम सभा में 50% वयस्कों और 33% महिलाओ की उपस्थिति होना अनिवार्य है। इस अधिनियम में यह साफ तौर पर लिखा है कि जनहित के 13 प्रकार के कार्यों को करने के लिए स्थानीय लोगों द्वारा सरकारी वन भूमि का प्रयोग किया जा सकता है। अभी भी सरकार द्वारा लोकहित के कार्य को करने के लिए लोगो की निजी भूमि का अधिग्रहण किया जाता है जबकि जनसंख्या बृद्धि के कारण लोगों के पास अपनी निजी भूमि बहुत ही कम रह गई है। इसलिए इस कानून को प्रभावी तरीके से लागू किया जाना अति आवश्यक है। हिमाचल प्रदेश में इस कानून को धरातल स्तर पर लागू करवाने में हिमालय नीति अभियान, सहारा और अन्य स्वयंसेवी संस्थाएं भी शासन प्रशासन को अपना महत्त्वपूर्ण योगदान रहे है।

हिमालय नीति अभियान के राष्ट्रीय संयोजक गुमान सिंह ने बताया कि वन अधिकार कानून 2006 सभी तरह के सांझे वन संसाधनों पर जनजातीय क्षेत्र के लोगों और अन्य परंपरागत वन निवासियों के व्यक्तिगत व सामुदायिक अधिकारों को कानूनी मान्यता देना सुनिश्चित करता है और साथ ही साथ प्रबंधन व संरक्षण का अधिकार भी कानूनी रूप में प्रदान करता है। इन सांझे वन संसाधनों पर विकास का अधिकार के तहत विकासात्मक कार्यों के लिए समुदाय की अनुशंसा लेना भी अनिवार्य करता है। हिमाचल प्रदेश में गैर जनजातीय क्षेत्र में रह रही प्रदेश की समस्त जनता इस कानून के अनुसार अन्य परम्परागत वन निवासियों से परिभाषित होते है इसलिए यह कानून पूरे प्रदेशभर में लागू है।

इस दो दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ बतौर रिसोर्स परसन मौजुद रहे जो यह सभी सामुदायिक वन संसाधन के संरक्षण एवं प्रबंधन पर महारथ हासिल किए हुए है। इनमें विदर्भ प्रकृति सरंक्षण सोसायटी नागपुर से डा.दीलिप गौडे, महाराष्ट्र से डा. किशोर मोघे, एनएसवीके झारखंड से वीरेन्द्र कुमार, नागपुर से सेवानिवृत सीसीएफ अमित कलसकर, जेएनयू से सेवानिवृत प्रोफेसर, लेखक एवं कवि डा.वरयाम सिंह, पीपल फॉर हिमालयन डेवलपमेंट एवं हिमालय नीति अभियान के राज्य समन्वयक संदीप मिन्हास, हिमालय नीति अभियान के राष्ट्रीय संयोजक गुमान सिंह, पीपल फॉर हिमालयन डेवलपमेंट से अदिति चच्यानी, हिमाचल प्रदेश मनरेगा कामगार व सर्वनिर्माण संगठन के प्रदेश महासचिव अजीत राठौर, डा. सचिन कुमार, जिला परिषद के अध्यक्ष पंकज परमार, वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी दौलत भारती, जिला परिषद सदस्य एवं जिला सतरीय समिती के सदस्य पूर्ण चंद, जिला परिषद सदस्य मान सिंह, सहारा संस्था के निदेशक राजेन्द्र चौहान, सहारा गवर्निंग बोर्ड के सदस्य हितेश्वर सिंह, सदस्य हरि सिंह ठाकुर, स्वर्ण सिंह ठाकुर, सुरेंद्र बन्धु, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य राम सिंह मियां समिति सदस्य लीला देवी आदि विषेष रूप से मौजुद रहे और अपने अपने विचार और अनुभव साझा किए।

उपमंडल स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष एवं एसडीएम हेमचंद वर्मा ने कहा कि निसंदेह उप मंडल बंजार में वन अधिकार कानून को लागू करने के लिए बेहतरीन कार्य हो रहा है। इन्होने कहा कि प्रशासन और विभाग की भी इसमें अपना पूरा सहयोग कर रहे है और भविष्य में भी प्रशासन का पूरा सहयोग बना रहेगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही पूरे उपमंडल में विभिन्न स्तर की कमेटियां गठित होगी। इस कार्य में जनता को जागरूक करने के लिए उन्होंने हिमालयन अभियान और सहारा संस्था के प्रयासों की सराहना की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *