पुस्तक समीक्षा : हिमालयी इतिहास और संस्कृति के पुरोधा-ओ.सी. हाण्डा, सम्पादक: नेम चन्द ठाकुर

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सुरभि न्यूज़ डेस्क

रविकुमार संख्यान, घुमारवीं ज़िला बिलासपुर

अभी हाल ही में 15 अप्रैल,2023 को लेखन क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान के लिए हिमाचल प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा हिमाचल गौरव से सम्मानित सोलन जनपद की अर्की तहसील के अर्न्तगत आने वाले अंद्रोली गाँव निवासी नेमचन्द ठाकुर किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। करीब तीन दशकों से उनकी विभिन्न प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित रचनाएं व पुस्तकें पाठकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती रही हैं।

सुबोध प्रकाशन, अलीगढ़ (उत्तरप्रदेश) से प्रकाशित इस प्रसिद्ध पुस्तक में यायावर लेखक डॉक्टर ओ .सी. हाण्डा को हिमालयी इतिहास और संस्कृति के स्थापित हस्ताक्षर के रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने में लेखक काफी हद तक सफल प्रतीत होते हैं।

कुल दो सौ पृष्ठों की इस सम्पादित पुस्तक में चार हिन्दी व पाँच अंग्रेजी भाषा के शोध लेख, एक सम्पादक की चर्चित विस्तृत कहानी भटकु एवं कुछ छायाचित्र सम्मिलित किये गये हैं।

पुस्तक के शुभारम्भ लेख हिमालयी इतिहास और संस्कृति के पुरोधा’ में सम्पादक ने उनकी शिक्षा प्राप्ति के जूनून व यायावरी के शौक बारे विस्तृत जानकारी दी है l

पुरातत्व सर्वेक्षण की उपलब्धियों में नागनौंण ( सिरमौर ), मीरपुर कोटला सिरमौर ), काली पत्थरी (परवाणु), लोहगढ़ का किला, मृकुला देवी मन्दिर – उदयपुर (लाहुल) की काष्ठ प्रतिमा, सूनपुर का खरोष्ठी शिलालेख, हाटकोटी मन्दिर की प्राचीन पाषाण प्रतिमा, बिलासपुर के प्राचीन रंगनाथ मंदिर के दिशापाल, मण्डी के अर्धनारीश्वर का एकाश्मक मन्दिर, रोहडू व मण्डी में खोजी गई मृण प्रतिमाएँ ( टैराकोटा फिगर्ज़ ) सहित उनकी प्रकाशित 34 पुस्तकों का क्रमानुसार विवरण पाठकों को उपलब्ध करवाया है। आभ्यन्तर ज्ञान और चेतना के पर्याय लेख में डॉक्टर इन्द्रसिंह ठाकुर ने पश्चिम हिमालय की लोक कलाएँ (1988) के शोध क्षेत्र को कर्म, विक्षेप, आवरण के दोष से मुक्त पाया है ।

दिवंगत साहित्यकार व गिरिराज साप्ताहिक के सम्पादक बद्री सिंह भाटिया ने पर्वत के पीछे एक अद्भुत सभ्यता का रहवास-भरमौर में उनकी पुस्तक गद्दी लैण्ड इन चम्बा: इट्स हिस्ट्री, आर्ट एण्ड कल्चर के आधार पर सारगर्भित प्रकाश डाला है तथा पुस्तक में प्रयुक्त तकनीकी शब्दों के अर्थ एक सारणी में देकर पाठकों के समझने के लिए सरल बनाना बताया है।

जैसा मैंने उन्हे जाना लेख में डॉक्टर मनोरमा शर्मा ने उनके सादा जीवन उच्च विचार के आदर्श पर बहुमूल्य जानकारी दी है तथा भारतीय संस्कृति, संगीत व कलाप्रेमी होने के साथ-साथ यायावर साहित्यकार भी बताया है ।

इस पुस्तक के सम्पादक नेम चन्द ठाकुर की डॉक्टर ओ. सी. हाण्डा के बचपन पर आधारित चर्चित लम्बी कहानी भटकु कहानी के तत्वों के आधार पर सही बन पाई है ।

मास्को से डॉक्टर ईरानी चैलेसिविया व उनके पतिदेव ने प्रकाशित पुस्तक Himalayas Divine and earthbound.Indian State Uttarakhand and research work Ethnography and cultural traditions of yet Another Himalaya region district Kinnaur of Himachal Pradesh State and another book Labyrinths of Himalayan Mysteries Kinnaur the abode of Celestial Musicians’ के प्रकाशन कार्य को डॉक्टर ओ .सी. हाण्डा के मार्गदर्शन व प्रोत्साहन के बिना असम्भव बताया है।
जर्मनी के प्रसिद्ध लेखक, फोटोग्राफर, पीटर वैन हेम (Peter Van Ham) ने Handaji The Complexity of Wisdom लेख में उनकी बहुआयामी प्रतिभा के बारे में करीब तीन हजार शब्दों में लिखने को बहुत कठिन कार्य बताते हुये उनकी प्रकाशित पुस्तकों व दुर्लभ फोटोग्राफी पर समुचित सारगर्भित बहुमूल्य जानकारी दी है ।

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू निवासी तोबदन ने  Dr.O.C.Handa and His Studies of the Himalayan Architecture  लेख में उनकी प्रकाशित पुस्तकों की जानकारी व केलांग ट्राईबल म्यूजियम की स्थापना में डॉक्टर गणेश देवी संग उनके अमूल्य योगदान की बात कही है। पीपल लिंगविसटिक सर्वे ऑफ इंडिया के हिमाचल भाग में मण्डयाली भाषा बारे कार्यों को भी सराहते हुए उनके जीवन वृत पर अच्छी जानकारी दी है।

इस पुस्तक का मुखपृष्ठ व अंतिम पृष्ठ बहुत ही मनमोहक व चित्ताकर्षक लगते हैं।

इतिहास विभाग की ऐसोसियेट प्रोफेसर सविता ठाकुर ने डॉक्टर ओ. सी. हाण्डा के आर्किटेक्चर और कला क्षेत्र में बहुमूल्य कार्य की प्रशंसा की है। डॉक्टर वी.के.शर्मा ने डॉक्टर हाण्डा को एक अच्छा लेखक और बेमिसाल व्यक्तित्व बताया है। पुस्तक के अन्त में छायाचित्रों द्वारा लेखक के जीवन और उनकी उपलब्धियों का संक्षिप्त ब्यौरा प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है ।

व्याकरणिक अशुद्धियों से दूर चिन्तन, चैतन्य, चिन्ताधारा की अस्मिता के पर्याय डॉ. हाण्डा पर आधारित यह पुस्तक पाठकों को बहुत पसन्द आयेगी। शोधपरक उच्चकोटि की जानकारी से भरपूर इस पुस्तक का मूल्य केवल मात्र 695 रुपये उचित प्रतीत होता है। पुस्तकालयों के लिए भी यह एक संग्रहणीय पुस्तक है ।

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