सुरभि न्यूज़
धनेटा, हमीरपुर
उपमंडल नादौन के धनेटा में गुग्गा जाहरवीर जी के सेवक जागरण मंडली घर-घर जाकर गुग्गा गाथा का गुणगान कर रहे हैं। गुग्गा जाहरवीर मंदिर लालां दा टियाला (धनेटा) के मुख्य सेवक मनीष शर्मा ने बताया कि गुग्गा जाहरवीर जी की वीर गाथा रक्षाबंधन के दिन से शुरू होकर कृष्ण जन्माष्टमी के दिन तक चलती है।
जिसमें गुग्गा बाबा जी का छतर उठाकर बाबा जी की महिमा का गुणगान करते हैं। सभी बाबा जी के छतर के आगे नतमस्तक होकर मन्नतें मांगते हैं। गुग्गा नवमी के दिन बाबा जी को रोट चढ़ाया जाता है और मेले के आयोजन होता है।
प्रदेश की लोक संस्कृति में गोगा जी के प्रति अपार आदर भाव देखते हुए कहा गया है कि गांव-गांव में खेजड़ी, गांव-गांव में वीर गोगाजी का आदर्श व्यक्तित्व भक्तजनों के लिए सदैव आकर्षण का केंद्र रहा है। गोगाजी राजस्थान के लोक देवता हैं। जिन्हें जाहरवीर गोगा के नाम से भी जाना जाता है। लोग इन्हें गोगाजी चौहान, गुग्गा जाहरवीर व जाहरवीर आदि के नामों से पुकारते हैं। यह गुरु गोरक्षनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक थे।
राजस्थान के छह सिद्दों में गोगाजी को समय की दृष्टि से प्रथम माना गया है। लांला दा टियाला (धनेटा) गुग्गा मंदिर के निकट के गांव के सभी लोग गुग्गा जी की वीर गाथा को सुनकर अपने को धन्य मान रहे हैं।
गुग्गा जी के प्रतीक के रूप में पत्थर या लकड़ी पर सर्प मूर्ति उत्कीर्ण की जाती है। लोक धारणा है कि सर्प दंश से प्रभावित व्यक्ति को यदि गुग्गा की माड़ी (मंदिर) तक लाया जाए तो वह व्यक्ति सर्प विष से मुक्त हो जाता है।
गुग्गा मंडली में मनीष शर्मा, राज कुमार, कमल दत्त, लक्की, गुरभक्त सिंह, सुरेश कुमार, ओंकार चंद, देश राज, बलबीर सिंह, जीवन, गुरदास राम आदि मौजूद रहे।