सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
शिमला, 19 सितम्बर
एसजेवीएन ने आज वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए अपनी 36वीं वार्षिक आम बैठक (एजीएम) का आयोजन किया। शेयरधारकों को संबोधित करते हुए सुशील शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने कंपनी की उपलब्धियों, प्रचालनगत चुनौतियों और महत्वाकांक्षी विकास योजनाओं पर प्रकाश डाला। शर्मा ने दिनांक 30 अगस्त 2024 को प्रतिष्ठित नवरत्न का दर्जा प्राप्त करने में सभी हितधारकों के दृढ़ समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया।
अपने संबोधन के दौरान, सुशील शर्मा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण चुनौतीपूर्ण हाईड्रोलॉजिकल परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद, एसजेवीएन ने अपने प्रचालन में सामर्थ्य प्रदर्शित किया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में, कंपनी ने अपने प्रचालनाधीन जलविद्युत, सौर एवं पवन विद्युत स्टेशनों से 8489 मिलियन यूनिट विद्युत का उत्पादन किया है।
विद्युत स्टेशनों ने नए रिकॉर्ड स्थापित करना जारी रखते हुए जुलाई 2023 में 1500 मेगावाट एनजेएचपीएस और 412 मेगावाट रामपुर एचपीएस द्वारा क्रमशः 39.570 मिलियन यूनिट तथा 10.971 मिलियन यूनिट का अब तक का उच्चतम दैनिक विद्युत उत्पादन किया है।
अगस्त 2023 माह में सभी प्रचालनाधीन परियोजनाओं से 1590.072 मिलियन यूनिट का अब तक का उच्चतम मासिक विद्युत उत्पादन दर्ज किया गया है और रामपुर एचपीएस ने भी इसी माह के दौरान 337.165 मिलियन यूनिट का अब तक का उच्चतम मासिक उत्पादन हासिल किया है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान कंपनी ने 2533.59 करोड़ रुपए का पृथक राजस्व अर्जित किया है और पृथक कर पश्चात लाभ (पीएटी) 908.40 करोड़ रुपए रहा है। एसजेवीएन ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 1.80 रुपए प्रति शेयर की दर से लाभांश का भुगतान किया। अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 के मध्य एसजेवीएन के स्टॉक निष्पादन में 426 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। शेयर दिनांक 05 फरवरी 2024 को 170.50 रुपए के अपने सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए, जिससे बाजार पूंजी 67,000 करोड़ रुपए हो गई।
सुशील शर्मा ने आगे अवगत करवाया कि एसजेवीएन ने चार परियोजनाओं नामत: उत्तराखंड में 60 मेगावाट नैटवाड़ मोरी जलविद्युत स्टेशन, उत्तर प्रदेश में 75 मेगावाट गुरहा सौर ऊर्जा स्टेशन, उत्तर प्रदेश में 50 मेगावाट गुजराई सौर ऊर्जा स्टेशन और गुजरात में 100 मेगावाट राघनेस्दा सौर ऊर्जा स्टेशन को सफलतापूर्वक कमीशन किया है। एसजेवीएन ने हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए आधार तैयार करते हुए भारत की प्रथम बहुउद्देश्यीय हरित हाइड्रोजन पायलट परियोजना को कमीशन करने का गौरव भी हासिल किया है।
एसजेवीएन ने 89 परियोजनाओं और 03 ट्रांसमिशन लाइनों के साथ अपने परियोजना पोर्टफोलियो को रिकॉर्ड 56,802 मेगावाट तक विस्तारित किया है। उल्लेखनीय उपलब्धियों में अरुणाचल प्रदेश में 5097 मेगावाट की जलविद्युत परियोजनाओं का आवंटन, नामांकन आधार पर एमओयू रूट के माध्यम से मिजोरम में 2400 मेगावाट की दार्जो लुई पंप स्टोरेज परियोजना का आवंटन और कुल 4490 मेगावाट की 16 नवीकरणीय परियोजनाओं को हासिल करना शामिल है।
एसजेवीएन को भारत सरकार द्वारा एसईसीआई, एनटीपीसी और एनएचपीसी के अतिरिक्त चतुर्थ नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसी (आरईआईए) के रूप में चयनित किया गया है। आरईआईए के रूप में, एसजेवीएन ने आज तक 17.1 गीगावाट की संचयी क्षमता के लिए डेवलपर्स के चयन हेतु निविदाएं जारी की हैं, जिनमें से 8.2 गीगावाट की संचयी क्षमता के लिए डेवलपर्स को अवार्ड पत्र जारी किए जा चुके हैं तथा शेष क्षमता के लिए निविदा प्रक्रिया प्रक्रियाधीन है। एसजेवीएन ने 3.82 गीगावाट की संचयी क्षमता के लिए डिस्कॉम और डेवलपर्स के साथ क्रमशः विद्युत विक्रय करार (पीएसए) और विद्युत क्रय करार (पीपीए) पर हस्ताक्षर किए हैं। शेष आवंटित क्षमता के संबंध में पीपीए और पीएसए पर शीघ्र ही हस्ताक्षर किए जाने की संभावना है। विद्युत मंत्रालय द्वारा कंपनी को हिमाचल प्रदेश, पंजाब और अरुणाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना (रूफटॉप) के कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी भी नियुक्त किया गया है।
शर्मा ने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान एसजेवीएन ने सीएसआर गतिविधियों पर 45.96 करोड़ रुपए का व्यय किया है, जो इसके वैधानिक दायित्वों से भी अधिक है। एसजेवीएन अपनी लिस्टिंग के पश्चात से ही ‘कारपोरेट अभिशासन पर डीपीई दिशानिर्देशों’ के अनुपालनार्थ निरंतर ‘उत्कृष्ट’ रेटिंग प्राप्त कर रहा है। कंपनी को ग्रेट प्लेस टू वर्क, इंडिया द्वारा ऊर्जा क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्यस्थल के रूप में मान्यीकृत किया गया है। कंपनी को ‘फॉर्च्यून इंडिया-द नेक्स्ट 500 मिडसाइज्ड कंपनियों’ में 25वें स्थान पर रखा गया है और एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया द्वारा इसे स्मॉल-कैप श्रेणी से मिड-कैप श्रेणी में अपग्रेड किया गया है। एसजेवीएन रिश्वत-रोधी प्रबंधन प्रणाली प्रमाणन प्राप्त करने वाला विद्युत क्षेत्र का प्रथम सीपीएसई भी बन गया। इससे पहले, एसजेवीएन जोखिम प्रबंधन प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए आईएसओ 31000:2018 प्रमाणन प्राप्त करने वाला प्रथम सीपीएसई था।
कंपनी की भावी विकास योजना को साझा करते हुए, शर्मा ने कहा कि एसजेवीएन ने वर्ष 2030 तक 25,000 मेगावाट और वर्ष 2040 तक 50,000 मेगावाट की महत्वाकांक्षी क्षमतागत वृद्धि का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें जलविद्युत, नवीकरणीय ऊर्जा और चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। एसजेवीएन की निकट भविष्य की प्राथमिकताओं में चल रही परियोजनाओं को पूरा करने सहित वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1320 मेगावाट बक्सर ताप विद्युत परियोजना और 2350 मेगावाट की 10 सौर परियोजनाओं को कमीशन करना शामिल है।
संबोधन के समापन में सुशील शर्मा ने सभी हितधारकों को हार्दिक धन्यवाद दिया और कहा कि आपके निरंतर सहयोग से, एसजेवीएन नई ऊंचाइयों को प्राप्त करेगा और भारत के ऊर्जा क्षेत्र के विकास को सशक्त बनाना जारी रखेगा।