चौहर घाटी में मनाया जाता है पशुयों को पूजे जाने वाला तीन दिवसीय अनूठा पर्व

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सुरभि न्यूज़

खुशी राम ठाकुर, बरोट

समूची चौहार घाटी के लोग सदियों पुरानी परम्परा को कायम रखते हुए प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी डंगर माल (पशुओं का पूजे जाने वाला पर्व) लोकल पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष समूची चौहार घाटी में गांववासियों द्वारा डंगर माल का लोकल पर्व 17 अक्तूबर से 19 अक्तूबर तक मनाया जा रहा है। गत दिन 17 अक्तूबर को चौहार घाटी के समस्त गाँवों के लोगों ने अपने-अपने घरों में अपने सभी पशुओं को फूलों की मालाएं पहनाकर सजाया और उनकी पूरे विधिविधान के साथ पूजा-अर्चना की गई।

लोगों का कहना है कि गत दिन गाँवों के लोगों ने सुबह ही अपने घरों में पालतू पशुओं की संख्या के अनुसार अपने घरों में पत्थर के टुकड़ों के गाय, बैल तथा उनके बच्चों के रूप में रखे और उन्हें चराने के लिए पत्थर के रूप में ही गुआला (पशु चराने वाला) भी बनाया और उस गुआले की पीठ में छोटी–छोटी लकड़ी के टुकड़े का बोझ भी रखा गया।  इसके साथ गुंथे हुए आटे के छोटे गरेलू (गोले) बनाए गए हैं और उन गरेलुओं को एक- दो करके डंगर (पशुओं) की पीठ के ऊपर रख दिया। उसके बाद कुछ मात्रा में गुड़ व चावल को डंगर (पशुओं) को चढ़ावे के रूप में चढ़ाया और उनकी पूरे विधिविधान के साथ पूजा-अर्चना की।

चौहार घाटी के बरोट पंचायत थुजी गाँव के 70 वर्षीय बुजूर्ग वजिन्द्र सिंह के अनुसार घाटी में चली आ रही सदियों पुरानी परम्परा के अनुसार इस दिन गांववासियों ने अपने घरों के पालतू डंगर (पशुओं) को सयुंक्त रूप से चारागाह में छोड़ दिया जाता है और शाम को गाँव के अंदर अगर बैल सबसे पहले प्रवेश करता है तो उस वर्ष ज्यादा बर्फवारी होती है। अगर गाय प्रवेश करती है तो उस वर्ष बहुत कम बर्फवाकेरी होती है। थुजी गाँव की बात की जाए तो उनके गाँव में इस दिन गाय ने सबसे पहले गाँव के अंदर प्रवेश किया हैं, जिस कारण मान्यता के अनुसार इस वर्ष चौहार घाटी में बहुत कम बर्फवारी होगी।

वहीँ डंगर माल लोकल पर्व के उपलक्ष्य में चौहार घाटी व छोटाभंगाल घाटी के लोग पहले दिन को अपने-अपने गाँव में आराध्य देवी–देवताओं के नाम से देव जातरों का आयोजन किया जाता है  वहीँ 18 अक्तूबर को चौहार घाटी के लपास
गाँव में स्थानीय गाँव वासियों द्वारा पहली माल जातर मनाई गई। इस दौरान स्थानीय लोगों द्वारा पंचायत में देव
गहरी के मुलस्थल गलू में देव गहरी के नाम से देव जातर का आयोजन किया गया। 19 अक्तूबर को घाटी के
गुराहला नामक स्थान पर दूसरी माल जातर का आयोजन किया गया।

लपास में देव जातर देव गहरी ने शिरकत की तथा शनिवार 19 अक्तूबर को गुराहला मे दूसरी माल जातर में घाटी के देवादि देव देव पशाकोट तथा देव गहरी शामिल होंगें।

 

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