प्राचीन पारंपरिक कुंईर दैऊली बुढी दीवाली पर्व 30 नवम्बर और 01दिसम्बर को धूमधाम से मनाया जाएगा

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सुरभि न्यूज़

कुल्लू

तीन गढ सात हारों के समस्त हारियानों को सूचित किया जाता है कि प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी कुंईरी महादेव के सान्निध्य में मनाए जाने वाली प्राचीन पारंपरिक कुंईर दैऊली बुढी दीवाली पर्व मार्गशीर्ष 15 व 16 प्रविष्टे तदानुसार 30 नवम्बर और 01_दिसम्बर 2024 को धूमधाम से मनाया जा रहा है।
आजकल आधुनिकता के दौर में कुंईर दैऊली का स्वरूप बदलता जा रहा है, वर्षों पूर्व कुंईर दैऊली के पहले दिन सभी सात हारों तीन गढ के हारियान अपनी-2 हारों के बाजे सहित शाम के समय प्रभु के समक्ष अपनी हाजिरी भरते थे। रात को दैऊली अग्नि प्रज्वलित कर उसके चारों प्रभु अपनी गौज के साथ परिक्रमा करते हैं और प्राचीन लोक गीत काव गाते हुए नाचते-गाते हैं और एक-दूसरे को ठमरू मारते हैं। प्रत्येक हार के लिए एक निश्चित स्थान होता था जहां रात-भर लोग जागरण करते थे। प्रभु की जेठी हार विश्लाधार वाले प्रभु के देऊरे के सामने, 12-20 कराड हार वाले  कोठी के पटांगन में, शिल्ली हार और रेहुशल वाले देवता के रौण मैदान में रात-भर प्रभु की चाकरी करते थे और रात-भर हारों के मध्य मलयुद्ध व कबड्डी खेली जाती थी और रातभर जागरण करते थे। आजकल रात की दैऊली में गिनें चुने लोग ही प्रभु धाम में उपस्थित होते हैं। आप सभी 7 हारों के हारियानों से निवेदन है कि पूर्ववत् आप सभी रात की देऊली को ही प्रभुधाम में आएं और प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त करें।
दिन की बुढी दैऊली आज भी यथावत मनाई जाती है, जिसमें सर्वप्रथम बगडी घास का रस्सा बनाया जाता है और उसके ऊपर प्रभु कुछ क्षणों के लिए विराजमान होते हैं और फिर रस्से को मंदिर परिसर से गांव के बाहर तक नाचते गाते खिंचकर गांव की परिक्रमा करते हैं फिर मंदिर परिसर में  प्रभु नृत्य के साथ भव्य नाटी का आयोजन किया जाता है।

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