सुरभि न्यूज़
राजेश कुमार जसवाल : जोगिन्दर नगर, 19 फरवरी
- बड़ा देव श्री हुरंग नारायण करते थे दरबार की अध्यक्षता, अब खंडहर बन चुकी है यह ऐतिहासिक धरोहर
मंडी जिला के जोगिन्दर नगर उपमंडल का कभी हिस्सा रही चौहार घाटी के झटिंगरी में प्राचीन काल में मंडी रियासत के राजाओं का दरबार सजता था। इस दौरान न केवल रियासत के राजा स्थानीय लोगों के साथ मिलते-जुलते थे बल्कि उनकी समस्याओं को भी सुना जाता था। इस दरबार की अध्यक्षता चौहार घाटी के बड़ा देव श्री हुरंग नारायण करते थे।
वर्तमान में झटिंगरी के इस ऐतिहासिक स्थल पर न तो रियासत कालीन महल मौजूद रहा है बल्कि अब केवल कुछ अवशेष ही देखने को मिलते हैं। यहां पर राजा के साथ-साथ रानी का भी एक अलग महल हुआ करता था। लेकिन इतिहास के पन्नों से यह बात साबित हो जाती है कि चौहार घाटी के झटिंगरी में न केवल मंडी रियासत के राजा स्थानीय लोगों से मिलते जुलते थे बल्कि यहां पहुंचकर समस्याओं का भी निवारण किया करते थे।
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ऐतिहासिक स्थल झटिंगरी को लेकर कुछ इतिहास की किताबों में न केवल राज दरबार लगने की जानकारी मिलती है बल्कि चौहार घाटी से जुड़ी कई ऐतिहासिक व रोचक जानकारी भी पढ़ने को मिलती है। इस संबंध में मंडी रियासत के राजा सूरज सेन (1637-1662 ई.) के समय चौहार घाटी को लेकर कुछ ऐतिहासिक संदर्भ पढ़ने को मिलते हैं।
राजा सूरज सेन के युवा होने तक मंडी रियासत का राज शासन करोड़िया खत्री के पास था। जैसे-जैसे राजा सूरज सेन बड़ा होने लगा तो सत्ता करोड़िया के हाथों से निकलने लगी, ऐसे में करोड़िया ने नुरपूर के राजा जगत सिंह से मिलकर षड्यंत्र रचा। करोड़िया ने नूरपुर के राजा की बेटी का विवाह सूरज सेन से तय किया ताकि योजना के अनुसार सूरज सेन को मारा जा सके।
झटिंगरी का वह ऐतिहासिक स्थल जहां कभी मंडी रियासत का राजमहल हुआ करता था
लेकिन इस बीच सूरज सेन को इस षड्यंत्र का आभास हो गया तथा अपनी दुल्हन को वहीं पर छोड़कर वहां से भाग निकला। बाद में नूरपुर के राजा जगत सिंह ने बेटी को मंडी राजमहल पहुंचाया। इस बीच सन 1641 ई. में नूरपुर के राजा जगत सिंह ने शाहजहां के विरूद्ध मोर्चा खोल दिया।
शाहजहां की ओर से गुलेर के राजा ने भाग लेते हुए रानी ताल कांगड़ा में युद्ध हुआ। इस युद्ध में न चाहते हुए भी मंडी के राजा सूरज सेन को भाग लेना पड़ा। युद्ध में नूरपुर के राजा जगत सिंह की हार हुई तथा सूरज सेन भी हार के बाद वहां से भाग निकला। कहते हैं कि राजा सूरज सेन भागते-भागते चौहार घाटी के बरोट पहुंचा तथा यहां पर स्थानीय लोगों ने उन्हें पहचान लिया कि वे तो उनके राजा सूरज सेन हैं। उस वक्त लोगों में यह चर्चा थी कि मंडी का राजा सूरज सेन युद्ध में या तो मारा गया है या फिर गुम हो गया है।
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झटिंगरी चौहार घाटी का प्रवेश द्वार है तथा पर्यटन की दृष्टि से यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। झटिंगरी व आसपास के क्षेत्र में देवदार, बुरांस, बान इत्यादि के घने जंगल मन को अलौकिक शांति का अनुभव कराते हैं। साथ ही इस स्थान से कुछ ही दूरी पर जहां एक तरफ खूबसूरत फूलाधार की वादियां हैं तो दूसरी तरफ घोघर धार है, जहां से संपूर्ण चौहार घाटी के साथ-साथ जोगिन्दर नगर व पधर क्षेत्र को निहार सकते हैं।