वैश्विक महामारी कोरोना के चलते शिक्षण संस्थानों को जारी रखना एक बड़ी चुनौती-शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू। शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना से दुनिया का कोई भी देश अछूता नहीं रहा। महामारी के कारण समाज की व्यवस्थाओं में भारी बदलाव देखने को मिला। इस दौर में विद्यार्थी जीवन काफी प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों को जारी रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है। बीते साल 22 मार्च 2020 से लेकर लगभग पूरा साल कोरोना संकट के कारण शिक्षण संस्थान बंद रहे, लेकिन प्रदेश सरकार ने लाखों विद्यार्थियों के भविष्य की चिंता करते हुए आनलाईन शिक्षण की व्यवस्था की। तकनीकी का उपयोग करते हुए हर घर पाठशाला कार्यक्रम शुरू किया गया जो विद्यार्थियों के लिए बड़ी राहत का सबब बन गया। इस कार्यक्रम से सभी बच्चों तथा अध्यपाकों को जोड़ा गया। गूगल मीट व जूम ऐप के माध्यम से बच्चों की वर्चुअल कक्षाएं नियमित रूप से ली जा रही हैं। इससेे सभी बच्चे अपने पाठयक्रम से पूरी तरह से अपडेट हैं तथा जरूरत पड़ने पर बच्चों की काउंसलिंग की भी व्यवस्था की गई है। गोविंद ठाकुर ने कहा कि कि इस वर्ष परीक्षा काल के दौरान कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने जबरदस्त दस्तक दी। बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जमा एक तक की परीक्षाओं का आयोजन नहीं किया जा सका। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने बच्चों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर प्रोमोट करने का निर्णय लिया। हालांकि जमा दो की परीक्षाएं अभी करवाई जानी बाकी हैं जिसका निर्णय जल्द ही कोविड मामलों की स्थिति को देखते हुए लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं और प्रदेश सरकार उनकी सुरक्षा के लिए हरसंभव काम कर रही है। आनलाईन पढ़ाई के माध्यम से शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों से आनलाईन पढ़ाई की फीडबैक ले रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चों को ई-लर्निंग के दौरान कोई दिक्कत न हो, गणित, विज्ञान जैसे विषयों को समझने में उन्हें कोई समस्या न हो, इसके लिए विभाग द्वारा नियमित रूप से फीडबैक लिया जा रहा है।
शिक्षा मंत्री ने प्रधानमंत्री के निर्णयों को बताया ऐतिहासिक
शिक्षा मंत्री ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कोरोना महामारी के चलते अनाथ हुए बच्चों की सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि मोदी देश के भविष्य को लेकर कितने संवेदनशील और चिंतित हैं। कोरोना महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों को पीएम केयर्स फंड के तहत मुफत शिक्षा और इलाज की सुविधा प्रदान की जाएगी। ऐसे बच्चों को 18 साल की उम्र से पांच साल तक मासिक भत्ता दिया जाएगा और 23 साल की उम्र में एकमुश्त 10 लाख रूपए मिलेंगे। गोविंद ठाकुर ने इन निर्णयों को बच्चों की शिक्षा व आर्थिक सुरक्षा के लिए ऐतिहासिक कदम बताते हुए नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में प्रधानमंत्री ने कुछ और महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की है जिसमें आयुष्मान भारत योजना के तहत ऐसे बच्चों को 18 साल तक पांच लाख रूपए का मुफत स्वास्थ्य बीमा मिलेगा। इसी प्रकार दस साल से कम उम्र के बच्चों को दाखिला नजदीकी केन्द्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में कराया जाएगा। अगर बच्चा निजी स्कूल में पढ़ रहा है, तो पीएम केयर्स से शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत तय फीस भरी जाएगी। बच्चे को यूनिफाॅर्म, किताबें और कापियों के लिए भी भुगतान किया जाएगा। उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को पीएम केयर्स से ब्याज मुक्त लोन मिल सकेगा। स्नातक या रोजगारपरक पाठयक्रमों में टयूशन फीस या कोर्स फीस के बरावर स्कालरशिप दिया जाएगा। जो बच्चे अभी तक छात्रवृत्ति योजना के दायरे में नहीं हैं, उन्हें पीएम केयर्स स्कालरशिप प्रदान किया जाएगा।

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