जीत के मायने और भी आनंदित करते हैं जब परिस्थितियां विपरीत हों-सुहाना खान

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सुरभि न्यूज़ बिलासपुर (झुंपा चटर्जी जमवाल) बिलासपुर की नेशनल हैंडबाल खिलाड़ी सुहाना खान का मानना है कि जब परिस्थितियां विपरीत हो तो जीत के मायने और भी आनंदित करते हैं। महज नौ-दस साल की उम्र में मधुमेह रोग यानि शुगर की चपेट में आई बिलासपुर की इस बेटी ने अपने पिता के मार्गदर्शन में न सिर्फ स्पोर्टस की गतिविधियों में अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम चमकाया बल्कि इस बीमारी से निरंतर जूझते हुए इसे हराने का बीड़ा उठाया है। सुहाना का मानना है कि वह एक दिन जरूर कामयाब होगी। हैरानी की बात है सुहाना की रक्त कोशिकाओं पर शूगर का इतना बड़ा प्रभााव है कि अब वह दिन में चार बार इंसूलिन लेती है तथा स्वयं को मैदान में सशक्त साबित करने के लिए अदम्य साहस का परिचय देते हुए हारे हुए मैच को भी अपनी ओर कर लेती है। हैंडबाल फील्ड में मजबूती से गोल की रक्षक सुहाना की फूर्ति और रक्षण देखते ही बनता है। सीआरपीएफ में सीनियर डिप्टी कमांडेंट तथा अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी हमीद खान की बेटी सुहाना जब दस वर्ष की थी तो इसे मधुमेह रोग का पता चला। सुहाना का ईलाज चंडीगढ़ स्थित पीजीआई में चल रहा है। दिन में चार बार इंसूलिन लेने के बावजूद सुहाना के हौंसले इस बीमारी से बड़े हैं तीन बार जूनियर नेशनल में राजस्थान राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुकी सुहाना ने अभी हाल ही में यूपी के कानपुर में संपन्न हुई जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में भाग लिया है जबकि सोलन के बड्डू साहिब में आयोजित जूनियन नेशनल प्रतियोगिता में स्टेट टीम का प्रतिनिधित्व किया। वहीं बीते वर्ष इंटरनेशनल डयू बाॅल प्रतियोगिता में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर सुहाना ने गोल्ड मैडल अपने नाम किया है। महाराष्ट्र के सोलापुर में संपन्न हुए एक सीनियर नेशनल का अहम हिस्सा सुहाना बन चुकी है। इंटर कालेज चंडीगढ़ में, तथा अन्य राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में सुहाना भाग ले चुकी है। बिलासपुर नगर के रौड़ा सेक्टर में समाजसेवी व पूर्व पार्षद वीरदीन और माता मीरा के मंझले पुत्र हमीद खान का हैंडबाल खेल की दुनिया में स्वयं में बड़ा नाम है। हिमाचल के साथ भारत की टीम में बतौर गोलकीपर देश को सुनहरे पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले हमीद खान वर्तमान में सीआरपीएफ में बतौर सीनियर डिप्टी कमांडेंट अपनी सेवाएं रांची में दे रहे है। हमीद खान की उपलब्धियों की फेहरिस्त में उन्होंने इंग्लैंड, हांग-कांग, ईरान, बंगला देश, कॉमन वैल्थ चैंपियनशिप में दो-दो बार देश का प्रतिनिधित्व कर गोल्ड मैडल अपने नाम किया है। इसके अलावा नेशनल व राज्यस्तरीय टूर्नामेंटस में अनगिनत बार हमीद खान राज्य का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। यही नहीं हमीद खान चार सालों में एक बार होने वाली मिनी ओलंपिक इंडिया अर्थात नेशनल गेम्स में तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। 1995 में कामन वैल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड मैडल टीम में हमीद खान को बैस्ट गोलकीपर के खिताब से नवाजा जा चुका है तथा उसके बाद आज तक यह खिताब किसी खिलाड़ी द्वारा हासिल नहीं किया गया।

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