भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश ने बिलासपुर में जिला स्तरीय गुलेरी जयंती समारोह का किया आयोजन

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सुरभि न्यूज़ बिलासपुर। भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश कार्यालय बिलासपुर द्वारा दिनांक 7 जुलाई, 2021 को संस्कृति भवन बिलासपुर के कला केंद्र हॉल में जिला स्तरीय गुलेरी जयंती समारोह का आयोजन करवाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला भाषा एवं संस्कृति अधिकारी नीलम चंदेल ने की जबकि मंच का संचालन जावेद इकबाल ने किया। साहित्यकारों द्वारा मां सरस्वती का दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। प्रतिभा शर्मा ने मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की इसके उपरान्त रविंद्र भट्टा द्वारा गुलेरी जी के जीवन पर पत्र वाचन किया गया। एस०आर० आजाद की पंक्तियां थी कीयां हो किती बी हो दवाडा बाना ठीक नहीं हुंदा, घरें किसी रे दूर पार बी पवाडा पाना ठीक नी हुंदा। रविंद्र भट्टा ने बचपन की किलकारीयों में यौवन के रस और उमंग में बुढ़ापे की अनुभवी झुर्रियों में सोंदर्य दिखाई देता है। रविंद्र कुमार शर्मा ने हमसे आया ना गया तुमसे बुलाया ना गया, करोना बीच में था दूर भगाया ना गया। जीतराम सुमन की पंक्तियां थी ना हिंदू मरा है ना मुसलमान मरा है यहां आदमी के भीतर बैठा इंसान मरा है। सुशील पुंडीर ने बुरा देखेयां मंदे तुसे मिंजो माणु बनाई ता। प्रदीप गुप्ता की कविता का शीर्षक था बचपन की पाठशाला शुक शुक पटिये ब्या जो जाना ब्या गया मुकी पट्टी गई सुकी। अरुण डोगरा ने कदर ना थी जिन्हें मौत की जिंदगी वह ले गए। हुसैन अली ने जिंदगी थक के सो ना जाए कहीं लम्हा लम्हा सफर सा लगता है मासूम सा है उनका मिजाज कुछ कहने से डर सा लगता है। डॉक्टर अनेक राम संख्यान ने बुढ़ापे की दस्तक शीर्षक से रचना प्रस्तुत की ना जाने कब ये आ गया मैं देखते देखते रह गया जमुना संख्यान की पंक्तियां थी “हम यूं ही तेरी तस्वीर बनाते रहे ख्याल आते रहे हम सजाते रहे। सुरेंद्र मिन्हास ने चादरु शीर्षक से रचना प्रस्तुत की ओडी सिरे पर चादरु कुड़ियां स्कूले थी जान्दिया नजर निठे करी कने सबनी ने थी ग्लान्दिया। प्रतिभा शर्मा ने मां बाबा के आंचल में हर एक बिटिया रानी है। जावेद इकबाल ने जलती बुझती स्ट्रीट लाइटों को इस तरह से तन्हा देखा है तकते किसी खुशमिजाज को जो आये उसकी रोशनी में फेंक मारो कोख के खाली कनस्तर को टन की आवाज में। डॉक्टर दिलबर कटवाल ने “वो आसमानों की सैर पर रहते हैं खींचते हैं जो जमीन पैरों तले शीशे के महलों में रहने वाले कच्चे मकानों पर पत्थर फेंकते हैं। ललिता कश्यप ने मनहरण घनाक्षरी लक्ष्मीबाई शीर्षक से रचना प्रस्तुत की पंक्तियां थी मोरोपंत जी की सुता भविष्य का नाम था पता बालपन शस्त्रों से खेले में बिताई थी। रविंदर चंदेल कमल ने पहले कवि फिर निवंधकार, कथाकार, उसने कहा था कहानी से हिंदी साहित्य के नक्षत्र में सम्राट कहलाये। शिवपाल गर्ग ने ना में था ना दिल की थी आवाज मेरे। वैष्णवी शर्मा ने है तिरंगे की शान में जिंदा हिंदुस्तान। भास्कर दुर्वासा ने जी करता है सूरज बनकर आसमान में दौड़ लगाऊ। परम देव शर्मा ने पहाड़ी गीत भाखडे रा डैम बनेया प्रस्तुत किया। सोनिका द्वारा भारत देश महान शीर्षक से रचना प्रस्तुत की। ओम कला मंच साईं ब्राह्मणों के कलाकारों द्वारा रुकमणी गाथा के ऊपर लोकगीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के समापन पर जिला भाषा-संस्कृति अधिकारी ने सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त करते हुए विशेष अथिति के रूप में व्यापार मण्डल बिलासपुर के अध्यक्ष नरेंद्र पंडित व संगठन सचिव श्री नगीन चंद द्वारा सम्मानित सदस्यों/साहित्यकारों व श्रोताओं को निशुल्क मास्क व सैनीटाइज़र वितरित करने पर आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में कोविड-19 की सुरक्षा के मध्यनजर सभी नियमों का पालन किया गया ।

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