पर्यावरण संरक्षण के अलावा लाहौल में आर्थिक समृद्धि के नए द्वार खुलेंगे रेशम
उत्पादन से घाटी की 25 युवतियों का समूह तैयार करेगा महिलाओं के क्लस्टर
सुरभि न्यूज़ केलांग। उद्योग विभाग (रेशम अनुभाग) के रेशम उद्यमिता विकास केंद्र बालीचौकी के तत्वावधान में आज उदयपुर में एक दिवसीय रेशम जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में तकनीकी शिक्षा, जनजातीय विकास एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ रामलाल मारकंडा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि शहतूत की खेती ऐसा व्यवसाय है जिसमें शून्य लागत के साथ आमदनी के बेहतरीन अवसर जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि शीतोष्ण जलवायु में शहतूत की खेती के पहले चरण में किन्नौर में शुरुआत हो चुकी है। अब लाहौल घाटी में भी इस व्यवसाय को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि श्रीनगर में इसे बड़े पैमाने पर अपनाया गया है और लाहौल की जलवायु भी वहां से मिलती- जुलती है। डॉ रामलाल मारकंडा ने कहा कि आने वाले कुछ वर्षों बाद करीब 37 करोड़ की इस समग्र योजना के पूरी तरह से कार्यान्वित हो जाने के बाद इस व्यवसाय को अपनाने वाले हरेक परिवार की सालाना आमदनी में कई गुणा इजाफा होगा। उन्होंने बताया कि घाटी में 25 युवतियों का समूह तैयार किया गया है जो विभिन्न पंचायतों में महिलाओं के क्लस्टर बनाएगा। रेशम उत्पादन से जुड़े महिला मंडल को 5 लाख रुपए तक की सहायता राशि सेरी कल्चर रिसोर्स सेंटर के लिए भी प्राप्त हो सकेगी। जबकि 20 हजार रुपए सीड मनी के तौर पर भी मिलेंगे।

विभाग द्वारा खेती के नए तौर तरीकों को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा और योजना से जुड़ी अन्य स्कीमों के लाभ भी दिये जाएंगे। उन्होंने शिविर में उपस्थित महिलाओं का आह्वान करते हुए कहा कि वे इस योजना के साथ सक्रियता के साथ जुड़ें ताकि वे आर्थिक तौर पर अपने आप को स्वाबलंबी बना सकें। उन्होंने कहा कि घाटी में शहतूत की खेती को बढ़ावा मिलने से ना केवल पर्यावरण को और संरक्षण मिलेगा बल्कि आर्थिक समृद्धि के भी नए द्वार खुलेंगे। केंद्र सरकार ने अब वन क्षेत्र में भी शहतूत के पौधारोपण की अनुमति दे दी है। लोग अपने खेतों के साथ लगती अनुपयोगी भूमि में भी शहतूत के पौधे लगा सकते हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में लाहौल घाटी में रेशम विकास से संबंधित एक केंद्र भी खोला जाएगा ताकि इस केंद्र का सीधा लाभ यहां के किसानों को मिल सके। उन्होंने इस मौके पर शिविर में उपस्थित किसानों को निशुल्क किटें भी प्रदान की। इससे पूर्व रेशम विकास प्रभाग के उपनिदेशक बलदेव चौहान ने डॉ रामलाल मारकंडा को इस मौके पर सम्मानित भी किया। शिविर के दौरान उपनिदेशक बलदेव चौहान के अलावा मंडलीय रेशम विकास अधिकारी डॉ अरविंद भारद्वाज और विजय चौधरी ने किसानों को शहतूत की खेती और रेशम उत्पादन से जुड़े विभिन्न पहलुओं की विस्तार से जानकारी दी। उप निदेशक बलदेव चौहान ने बताया कि इस महत्वकांक्षी योजना की विभिन्न स्कीमों के तहत 90 फ़ीसदी तक का अनुदान भी शामिल है। किसानों को मार्केटिंग की भी कोई कठिनाई नहीं रहेगी क्योंकि किसानों से उत्पाद विभाग सीधे तौर पर ले लेगा। इस मौके पर जनजातीय सलाहकार समिति के सदस्य शमशेर के अलावा अधिशासी अभियंता लोक निर्माण बीसी नेगी व अन्य विभागीय अधिकारी भी मौजूद रहे।