सुरभि न्यूज(प्रताप अरनोट) कुल्लू। कुल्लू मनाली विश्व भर में पर्यटक स्थल के लिए जिस तरह विख्यात है उसी तहर कुल्लवी शाल व हाथ से बनाए गए अन्य उनी वस्त्रां के लिए भी विश्व भर में विख्यात है। कुल्लू में मूल रूप से स्वदेशी कुल्लूवी लोग सादे शाल बुनने थे लेकिन 1940 के दशक में रामपुर वुशहर से आए शील्पकारों ने कुल्लूवी शाल को एक नया रूप देकर अधिक सुन्दर बना दिया जिससे कुल्लूवी शाल की मांग बढ़ती गई। कुल्लूवी शाल ने विश्व भर में अपनी पहचान बनाई है जिसको देखते हुए भारतीय डाक विभाग ने दो विषेश आवरण कुल्लू में जारी किए।
डाकपाल यादविन्द्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि देव सदन कुल्लू में एक सादे समारोह में भारतीय डाक विभाग ने कुल्लवी शाल पर दो विशेष आवरण जारी किए जिसमें चीफ पोस्टमास्टर जनरल मीरा रंजन शंरिग हिमाचल प्रदेश परिमण्डल ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की तथा कुल्लवी शाल पर दो विशेष आवरण का जारी कर विमोचन किया।
उन्होंने कुल्लू शाल की प्रशंसा करते हुए कहा कि कुल्लू शाल विश्व भर में अपनी अनुठी बनावट व विशेष डिजाइन पैट्रन के लिए विख्यात है। कुल्लू शाल बनाने में स्थानीय शिल्पकारों का बहुत बडा योगदान है जो स्थानीय उन, अंगोरा, पशमीना तथा याक के धागे से अपने कुशल हाथों से बुन कर तैयार करते है। कुल्लू शाल की अपनी एक अलग पहचान है जिसका लोगो 2002 में पंजीकृत किया गया है।
इस समारोह में कुल्लू के बुनकर कलावती, रीत, राजू तथा कालु राम को माई स्टेम्पंस भेंट कर सम्मानित किया गया। समारोह में प्रवर अधीक्षक मण्डी भवानी प्रसाद शर्मा, सहायक अधीक्षक कुल्लू सुरेन्द्र कुमार, सहायक अधीक्षक सुन्दर नगर संजय कुमार, डाक निरिक्षक राजेश कुमार तथा डाकपाल यादविन्द्र सिंह ने विशेष रूप में उपस्थित रहे।