भारत की राजनीति में वोट कटने का भय बहुत प्रभावी था, प्रधानमंत्री मोदी ने उस भय को मार दिया है

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सर्वेश तिवारी श्रीमुख
गोपालगंज, बिहार

सुरभि न्यूज़ कुल्लू

अब भविष्य में लोकतांत्रिक भारत का कोई प्रधानमंत्री न तिलक लगाने से हिचकेगा, न गङ्गा स्नान करने से। अब न कोई महादेव मंदिर में स्वयं मुख्य यजमान बन कर पूजा करने से डरेगा, न एक सामान्य हिन्दू वृद्ध की तरह मन्दिर मन्दिर घूमने से… भारत की राजनीति में ‘वोट कटने का भय’ बहुत प्रभावी था। प्रधानमंत्री मोदी ने उस भय को मार दिया है।
जैसे तय था, कि देश का प्रधानमंत्री और कुछ भी हो सकता है, बस स्वाभिमानी हिन्दू नहीं हो सकता। अब भविष्य में यह गुलामी नहीं दिखेगी। मोदी ने इस गुलाम मानसिकता को मार दिया है।
कुछ वर्ष पूर्व तक सेक्युलरिज्म की फर्जी धारणा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का ध्येय ले कर चलने वाली सनातन धर्मबोध का गला दबा रही थी। जैसे स्वयं को हिन्दू कह देना भर पिछड़ेपन का प्रमाण हो। सेक्युलरिज्म के नाम पर पसरे इस साम्प्रदायिक आतंक ने बहुत चोट दी है भारत को…  मोदी ने उस आतंक को मार दिया है।
कुछ वर्ष पहले तक एक निराशा पसरी थी हर ओर। आती थीं हर ओर से केवल निराश करने वाली खबरें… टूटती परम्पराएं, टूटता विश्वास, क्षीण होती आस्था, मन से हटते सनातन संस्कार… गौरवशाली इतिहास को अंधविश्वास बता कर आम जन में हीनता का भाव भरने का षड्यंत्र पूरी तरह से सफल हो रहा था। मोदी ने उस षड्यंत्र को मार दिया है।
जाने किस मूर्ख ने बना दिया था यह रिवाज, कि सत्ता में रहने के लिए हर हिन्दू को समय समय पर अधार्मिक और विदेशी आवरण धारण करना ही होगा। टोपी पहननी ही होगी, तिलक मिटाना ही होगा…  मोदी ने इस रिवाज को मार दिया है।
नई हवा चल रही है, पसरी है हर ओर एक पवित्र गन्ध… एक अद्भुत उल्लास है राष्ट्र के हृदय में, प्रकृति मुस्कुरा रही है जैसे! काशी में मोदी को सचमुच मां गंगा ने बुलाया था। गङ्गा इस देश की माँ हैं, उन्हें पता है कि कब अपने किस योग्य सन्तान को महादेव की सेवा का अवसर देना है। वे कभी अपनी गोद में बिठा कर ‘पराजित हो चुके कन्नौज नरेश जयचंद के सुपुत्र हरिश्चन्द्र’ को अमर कर देती हैं। वे कभी अपनी प्रिय अहिल्या को बुला कर उसे गले लगाती हैं तो कभी महाराजा रंजीत सिंह को… इस बार उन्होंने मोदी को चुना है।
गङ्गा में डुबकी लगा कर निकलते उस इकहत्तर वर्ष के बुजुर्ग की तस्वीर देखिये! कल वे केवल प्रधानमंत्री नहीं, वे सनातन परंपरा के समस्त बुजुर्गों के प्रतिनिधि थे जो बुढ़ापे में काशी-मथुरा हरिद्वार नहा लेने की लालसा के साथ जीते हैं। बुजुर्गों का काम ही यही होता है कि वे अगली पीढ़ी को धर्मकाज सिखाएं!  मोदी कल वही कर रहे थे। हमें गर्व है अपने घर के इस बुजुर्ग पर…
काशी की तपस्या पूरी हो गयी है। महादेव अपने सेवकों से परिसर की गंदगी साफ करा ही लेंगे। सभ्यता की दीवाल पर समय का लगाया हुआ हर दाग धुलेगा, देखते जाइये! जहाँ तक झाड़ू मोदी को लगाना है, वहाँ तक मोदी लगाएंगे, उसके आगे कोई और लगाएगा… महत्वपूर्ण बस यह है कि काम शुरू हो चुका।
देखिये चमक उठी काशी को… देखिये मुस्कुराती काशी को… देखिये अपनी ओर देख कर मुस्कुराते समय को! यह पुनरुत्थान का कालखण्ड है। ठीक कहा कल प्रधानमंत्री ने! सब महादेव कर रहे हैं। महादेव सब ठीक करेंगे….

 

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