मुंशी प्रेम चन्द की कहानी ये भी नशा वो भी नशा हास्य व्यंग्य का सराहनीय प्रस्तुतिकरण 

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सुरभि न्यूज़ कुल्लू। भरत मुनि जयंती के उपलक्ष्य पर ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन कुल्लू और संस्कार भारती हिमाचल प्रदेश के तत्वावधान में 14 फरवरी से 19 फरवरी तक आयोजित किए जा रहे नाट्योत्सव के पांचवें दिन दृश्टि ग्रुप कुल्लू एवं पालमपूर की ओर से युवा रंगकर्मी वैभव ठाकुर ने मीनाक्षी के निर्देशन में दो लघु कहानियों का सुन्दर प्रस्तुतिकरण किया। युवा अभिनेता ने अपनी अभिनय प्रतिभा से रोमांचित कर दिया। पहली कहानी मुंशी प्रेम चन्द की ‘ये भी नशा वो भी नशा’ हास्य व्यंग्य से एक ऐसे हिन्दुस्तानी राय और अंग्रेज़ अफसर की आपसी वार्ता को दिखाती है कि राय साहब लेने के देने पड़ जाते हैं अंग्रेज़ अफसर होली के दिन राय साहब की बस्ती में आकर भांग के घोटे का सेवन करते हैं और राय साहब पर गुलाल फेंकते हैं और पिचकारी मारते हैं।

इस पर राय साहब गौरवांवित होते हैं कि एक गोरे अफसर ने उनके साथ होली खेली है। अगले दिन वे अंग्रेज़ अफसर के घर बदला चुकाने जाते हैं तो अंग्रेज़ अफसर उन्हें षराब पीन के लिए कहता है। अब राय साहब फंस जाते हैं कहत हैं कि षराब पीना हमारे षास्त्रों में मना है। पर अंग्रेज़ अफसर कहता है कि कल मेंने आपका भांग पिया आज आप हमारा षराब पीजिए। ये भी नशा है और वो भी नशा ही है। पर राय साहब बड़ी मुश्किल से जान बचाकर वहां से निकलते हैं नही तो उनका धर्म भ्रश्ट हो जाता। दूसरी कहानी भी हास्य रस से पूर्ण पंचतन्त्र की कथा ‘नाई की मूर्खता’ रही। इसमें सेठ मणिभद्र धन में हानि होने के बाद जब आत्महत्या करने की योजना बनाता है तो उसी रात्रि सपने में उसे पद्मनिधि दर्शन देते हैं और कहते हैं कि कल सुबह मैं एक बौद्व लामा के भेश में तुम्हारे दरवाज़े पर आउंगा और मुझे सिर पर ज़ोर से चोट माना और मैं सोने का बन जाउंगा। यह तुम्हारे पूर्वजों द्वारा संचित निधि है जो मैं तुम्हें लौटा रहा हूं। अगले दिन सचमुच वैसा ही हुआ और मणिभद्र ने उसे सिर पर चोट मारी और वह सोने का होकर गिर जाता है। यह घटना एक नाई देखता है। मणिभद्र ने उसे थोड़ा बहुत धन देकर चुप करा लिया लेकिन उसके तो मन में और ही बात चल रही थी कि अगर मैं भी किसी भिक्षु को बुलाकर मार दूं तो मेरे पास भी बहुत सा सोना हो जाएगा और एक क्यों ज़्यादा संख्या में बुलाकर मारूंगा तो मैं सबसे सेठ हो जाउंगा। वह वैसा ही करता है। नगर के भिक्षुओं को बुलाकर बुरी तरह से पीटता है। उनमें से कुछ तो मर ही जाते हैं पर सोने के नहीं बनते। फिर उसे नगर की पुलिस पकड़ती है तो वह अदालत में पूरी घटना बताता है। उसे उसकी इस मूर्खता के लिए सज़ा दी जाती है। इस प्रस्तुति में केमरा पर मीनाक्षी व ष्याम लाल रहे जबकि आलोक प्रबन्धन देस राज का रहा और ऑनलाईन का कार्य रेवत राम विक्की ने किया। संयोजन का कार्य केहर सिंह ठाकुर ने किया।

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