चौहार घाटी के लोकगायक श्याम सिंह गायकी के क्षेत्र में चमकता एक सितारा

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सुरभि न्यूज़

बरोट

खुशी राम ठाकुर

चौहार घाटी के लोकगायक श्याम सिंह को गायकी के क्षेत्र में किसी पहचान के मोहताज नहीं है। तरस्वाण पंचायत के गाँव मठी वजगाण में एक गरीब पिता भेखलू राम और माता फागणी देवी के घर में जन्मे लोकगायक श्याम सिंह को गायकी के क्षेत्र में एक सितारा है। उनका सपना है कि चौहर घाटी से गायन के क्षेत्र में प्रदेश भर में एक पहचान बना संकू और आज श्याम सिंह इस मुकाम पर पहुँच चुके हैं। श्याम सिंह ने पत्रकार वार्ता में जानकारी देते हुए बताया कि उनकी गायकी के क्षेत्र में बचपन से ही चौहर घाटी की लोक संस्कृति से प्रेरणा मिली है। यहाँ साल भर चलने वाले शादी-विवाह, मेले-उत्सव व त्यौहारों में नाचन-गाने की धूम रहती है। जब इरादे पके हो तो वह मंजील तक पहुँच ही जाता है। गायकी की मंजिल पाने के लिए उन्होंने वर्ष 2000 में गायन से सम्बन्धित गुण तथा कला सीखने के लिए सुप्रसिद्ध संगीतकार एसडी कश्यप की शरण में गए।  वहां से उन्होंने बहुत कुछ सिखा उसके बाद कई वर्षों तक गृह कार्य में उलझते रहे जिस कारण इच्छा होते हुए भी गायकी कलाकारी का कार्य करने में असमर्थ रहे। मगर गत वर्ष 2021 में उन्होंने गायन के क्षेत्र में कदम रखा। गत वर्ष से लगातार लोक गीत, मंडियाली तथा कुल्लवी गीतों की वीडियो बनाने में जुट गए हैं जिनकी जिला मंडी तथा कुल्लू की हसीन वादियों में शूटिंग करके अपने यूट्यूब चैनल चुहारदेव धुन में डाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने आजतक जितने भी लोक गीतों तथा पहाड़ी नाटियों को रिलीज किया है उन सभी में श्रोताओं व दर्शकों का भरपूर सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कहा कि गत माह उन्होंने पहाड़ी नाटी पुरखू राम हेड़ी और गत दिन गंगी हेसणीए को रिलीज कर अपने चुहार देव धुन चैनल में डाला है जिन्हें लोगों ने बेहद पसंद किया है और सभी कार्यक्रम के आयोजन में बजा कर बड़ी मस्ती से नाचने और सुनने का भरपूर आनंद ले रहे हैं। श्याम सिंह ने बताया कि उनके चुहारदेव धुन यूट्यूब चैनल में लंखों के हिसाब से सबस्क्राइबर व प्रशंसक जुड़ चुके हैं। जिस कारण अब वह न केवल चौहार घाटी, छोटाभंगाल व कुल्लू क्षेत्र में लोगों के प्रशंसक बने है बल्कि समूचे प्रदेश सहित राष्ट्रीय स्तर में अपनी ख्याति अर्जित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज तक उन्होंने जितनी भी पहाड़ी नाटियां तथा लोक गीत गाएं हैं वे सभी उनके द्वारा ही लिखे गए हैं। श्याम सिंह ने बताया कि उन्होंने कभी भी किसी गीत की नक़ल नहीं की है। वह अपने गीतों को अपनी लोक पहाडी भाषा में लिखते हैं। अपनी पहाड़ी लोक भाषा को संरक्षण व संवर्धन के लिए मात्र पहाड़ी लोक गीतों को ही लिखते व स्वयं गाते रहेंगे। श्याम सिंह ने कहा कि इस मुकाम तक पहुँचने के लिए सुप्रसिद्ध संगीतकार एसडी कश्यप और अपने माता-पिता का आशीर्वाद हमेशा उनके सर पर रहा है।

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