डाॅ देवकन्या ठाकुर द्वारा लिखित कहानी मोहरा का एकल अभिनय के माध्यम से किया मंचन

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सुरभि न्यूज़

कुल्लू

ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन कुल्लू द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश एवं हिमाचल कला भाषा एवं संस्कृति अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में कलाकेन्द्र कुल्लू में आयोजित किए जा रहे 13 दिवसीय ‘हिमाचल नाट्य महोत्सव’ के तीसरे दिन ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन के कलाकार रेवत राम विक्की ने डाॅ देवकन्या ठाकुर द्वारा लिखित कहानी ‘मोहरा’ की केहर सिंह ठाकुर के निर्देशन में एकल अभिनय के माध्यम से रेवत राम विक्की ने नाट्य प्रस्तुति की। कहानी एक अनुसूचित जाति से सम्बन्धित शिल्पी नीरतू की है जो देवता के मोहरे बनाता है। वह देवता का खानदानी देवरथ और मोहरा बनाने वाले परिवार से है। कहानी हमारी सामाजिक व्यवस्था की अब तक न समझ आने वाली बिडम्बना की ओर इशारा करती है कि जब वह अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखने वाले शिल्पी के बिना कोई मोहरा नहीं बनता, देवता भी उसी का बनाया मोहरा अपने रथ में सजाना चाहता है लेकिन जब उसी के द्वारा बनाया गया मोहरा देवरथ में सजता है तो उसी शिल्पी को उसे छू लेने की भी इजाज़त नहीं होती। यह अबोध प्रश्न कहानी नीरतू के छोटे बच्चे गुड्डू के माध्यम से अबोधतापूर्वक उठाती है। रेवत राम विक्की ने अपने परिपक्व अभिनय से नीरतू की और समाज के एक धड़े की इस पीड़ा को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से ब्यां किया। कहानी में समाज के इस धड़े द्वारा इस व्यवस्था का प्रतिवाद न करके अपनी एक अलग व्यवस्था स्थापित करने की ओर कदम बढ़ाने का भी एक इशारा है जब नीरतू बेटे गुड्डू के प्रश्न पर कि हम इसे क्यों छू नहीं सकते बापू, इसका जबाब दिए बगैर ही कुछ महीनों में गुड्डू के लिए एक और देवरथ तैयार करता है और कहता हैं कि बेटा जब मैं औरों के लिए देवरथ तैयार कर सकता हूं तो तुम्हारे लिए क्यों नहीं। देवता तो सब जगह विराजमान होते हैं उनके लिए कोई जात पात मायने नहीं रखती। नाटक में वस्त्र एवं प्रकाश परिकल्पना मीनाक्षी की रही। दर्शकों में शहर के प्रबुद्व संस्कृति कर्मी यतिन पंडित और शिक्षिका एवं साहित्यकार इशिता आर गिरीश ने विशेष रूप से मौजूद रहे और उन्होंने प्रस्तुति और ऐक्टिव मोनाल के इस प्रयास की मुक्त कण्ठ से सराहना की।

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