एक पाँव से साइकल चलाकर कन्याकुमारी से कश्मीर की यात्रा पर निकले तमिलनाडू के दिव्यांग महेश 

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सुरभि न्यूज़
सी आर शर्मा, आनी।
दिल में अगर कुछ कर गुजरने का जनून हो तो वह कठीन से कठिन मंजिल हासिल कर लेता है जो उसने कभी सोचा भी न हो। कुछ ऐसा ही कर दिखाने के लिए निकले है तमिलनाडु के 53 वर्षीय महेश। महेश एक दिव्यांग है जिसका एक पाँव है दूसरा पाँव कटा है। लमिलनाडू राज्य के 53 वर्षीया महेश शारिरिक रूप से दिव्यांग है। उन्होंने कन्याकुमारी से कश्मीर तक साइकिल चलाकर भारत यात्रा करने का निर्णय किया है। दिव्यांग होने के बावजूद महेश एक पाँव से साइकिल चलाकर यात्रा पर निकले है। महेश ने आनी से गुजरते हुए शमशरी महादेव मंदिर में माथा टेका और यात्रा को सुरक्षित पूरी करने की मुराद मांगी। आनी की हिम संस्कृति संस्था व सचेत संस्था ने महेश का स्वागत किया।
महेश ने अपनी यात्रा के उदेश्य के बारे में बताया कि वह दिव्यांग होकर भी देश प्रेम का जज़्बा रखता है। देशवासियों मे आपसी प्रेमभाव बढ़े तथा एक दूसरे से भाईचारा बना रहे। युवा नशे जैसी बुराइयों से दूर रहे। यही संकल्प लेकर वे  तमिलनाडू कन्याकुमारी से  15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर साइकिल यात्रा पर निकले हैं। महेश एक पाँव से साइकिल चलाकर अभी तक  तमिलनाडु कन्याकुमारी से कर्नाटका, आंध्र प्रदेश, गोवा, पंजाब तथा हिमाचल के विभिन्न  कस्बों को पार करते हुए ज़िला कुल्लू के देवभूमि आनी में पहुंचे है। महेश ने कहा कि किसी भी दिव्यांग को कम नहीं आंका जा सकता है उनके अंदर भी कोही न कोई अदृश्य शक्ति होती है बेशर्त शक्ति का आभास होना चाहिए। मन यदि कुछ कर गुजरने की दृढ़ इच्छा व अटूट विश्वास हो तो किसी भी कार्य में शारिरिक दिव्यांगता बाधा नहीं बन सकती। आनी क्षेत्र के लोगों ने दिव्यांग के इस हौसले को सलाम करते हुए .उसके आगे की यात्रा की शुभकामनाएं दी।

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