देवकन्या ठाकुर द्वारा लिखित कहानी हेसण का एकल अभिनय के माध्यम से किया सफल मंचन

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सुरभि न्यूज

कुल्लू

एकल अभिनय के माध्यम से कुल्लू की संस्था ऐक्टिव मोनाल कल्चरल ऐसोसिएशन के कलाकार आनलाई एवं आफलाईन माध्यम से विभिन्न विख्यात, स्थापित व नवांगतुक कहानीकारों की कहानियां प्रस्तुत करते आए हैं। इस वर्ष संस्था ने हिमाचली लेखकों की कहानियों के प्रस्तुतिकरण की एक श्रृंखला आरम्भ की है। इसी श्रृंखला की इस कड़ी में संस्था के रंगकर्मी रेवत राम विक्की ने डाॅ देवकन्या ठाकुर द्वारा लिखित कहानी ‘हेसण’ का एकल अभिनय के माध्यम से संस्था के टिकरा बाबली स्थित ऐक्टिंग स्टुडियो में मार्मिक प्रस्तुतिकरण किया। केहर सिंह ठाकुर द्वारा मीनाक्षी के सह निर्देशन में इस नाट्य प्रस्तुति को आनलाईन तथा आफलाईन दोनों माध्यमों से प्रस्तुत किया गया।

कहानी हेसण में बहुत ही बारीकी से देवदासी की मनोस्थिति को उकेरा गया है और बहुत ही खूबसूरती से उठती है आवाज़ देवता महादेव की आढ़ में अपनी लालसाओं, आसक्तियों और वासनाओं की तृप्ति की कोशीश करते रसूखदारों की वृतियों पर, जो आवाज़ किसी भी परम्परा को आहत नहीं करती। लेकिन एक प्रश्न ज़रूर खड़ा करती है। कुल्लू क्षेत्र की महादेव की इस परम्परा में ‘महादेव की हेसण’ अर्थात देवदासी होना अपने आप में साध्वी होने जैसा उच्च स्थान प्राप्त करना है और अध्यात्म के शिखर की ओर बढ़ना है। लेकिन कहानी दिखाती है कि कुछ रसूखदारों द्वारा देवता की आढ़ में इस परम्परा को कलंकित करना दयानीय और दुःखद है। कहानी भक्ति हेसण की है उससे पहले उसकी मां हेसण थी और अब भक्ति अपनी बेटी को हेसण बनने नहीं देना चाहती लेकिन देवता के कारिंदे यह करने पर उसे मजबूर करते हैं। उसकी बेटी जो कि महादेव की बेटी मानी जाती रही असल में होती है देवता के किसी न किसी एक कारिंदे की। लेकिन अन्त में कहानी में देवता का कारदार सामने आता है और कहता है कि भक्ति यह महादेव की नहीं मेरी बेटी है और मै इसे हेसण बनने नहीं दूंगा। नाट्य प्रस्तुति में केमरा पर मीनाक्षी व अंशुल रहे। आलोक संचालन देस राज का और वस्त्र व आलोक परिकल्पना मीनाक्षी की ही रही। जबकि आनलाईन स्ट्रीमिंग का कार्य वैभव ठाकुर ने सम्पन्न किया। अगले सप्ताह 28 सितम्बर को शाम 4 बजे ही एक और हिमाचली लेखक नरेन्द्र निर्मोही द्वारा लिखित कहानी ‘बुखारी’ का प्रस्तुतिकरण अंशुल डोगरा द्वारा किया जाएगा।

 

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