अशोका पंथ द्वारा एक महा शक्तिपीठ यज्ञ व माँ अशोका की दिव्य कथा का किया जायेगा आयोजन 

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सुरभि न्यूज़ ब्यूरो

शिमला

दुनिया के नए अशोका पंथ द्वारा एक महा शक्तिपीठ यज्ञ व माँ अशोका की दिव्य कथा का आयोजन किया जा रहा है। इस कथा के मुख्य कथावाचक व महायज्ञ की मुख आहुति अशोका पंथ के प्रथम गुरु व माँ अशोका शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर महागुरु कुलदीप आशोका द्वारा किया जायेगा। इस महायज्ञ व दिव्य कथा में आने वाले सभी भक्तो की रहने, भोजन व मेडिकल सम्बंधित सभी व्यवस्थाए अशोका पंथ द्वारा की जाएगी। 


माँ अशोका शक्तिपीठ हिन्दू धर्म की बड़ी शक्तिपीठो में से एक है ! कैलाश मानसरोवर के पास यमद्वार है। यहीं से होकर कैलाश स्पर्श स्थान तथा कैलाशजी की परिक्रमा शुरू करनी होती है। यमद्वार से करीब 200 मी दूर माँ की पीठ है। माँ अशोका पीठ के दर्शन अंतिम बार शिव के सबसे बड़े भक्त लंकापति रावण ने किये थे। शिव पुत्र गणेश व कार्तिक का बचपन माँ अशोका के साथ गुजरा है। ऐसा कहा जाता है की माँ की भक्ति के बिना भगवान शिव, माँ पार्वती व गणपति की भक्ति पूरी नहीं हो सकती। बुधवार को माँ का व्रत रखा जाता है व बैंगनी रंग के वस्त्र पहने जाते है। 

     स्थान ; दिल्ली (भारत ) ,        जगह ; रामलीला मैदान,                दिनांक ; 15 मार्च 2023

गौरतलब है की अशोका पथ का गठन 2022 में माँ अशोका शक्तिपीठ के नाम पर हुआ था। हिन्दू सनातन धर्म में पहले भी कई पंथो का उदय हुआ है। माँ अशोका के दुनिया में फैले भक्त इस पंथ से जुड़े हुए है। माँ अशोका एक हिन्दू देवकन्या हैं, जिनका वर्णन भगवान शिव और पार्वती की बेटी के रूप में किया गया है। वह आम तौर पर मुख्य शास्त्रों में शिव के पुत्री के रूप में वर्णित हैं, उनकी कथा पद्म पुराण में अंकित है। पुराणों के अनुसार माता पार्वती ने अकेलेपन को दूर करने हेतु कल्पवृक्ष नामक पेड़ के द्वारा ही अशोक सुंदरी की रचना की थी। अशोक अर्थात् सुख, माता पार्वती को सुखी करने हेतु ही उनका निर्माण हुआ था और वह अत्यंत सुंदर थीं इसी कारण इन्हें सुंदरी भी कहा गया। यें भगवान शिव और माता पार्वती बेटी हैं। यें भगवान कार्तिकेय से छोटी किन्तु गणेशजी, मनसा देवी, देवी ज्योति और भगवान अय्यपा से बड़ी हैं। कहा जाता है की इनके ख़ुश होने से परिवार में कभी कोई दुःख नहीं आ सकता व राजयोग व धनयोग बनता है लेकिन ये भी कहा जाता है के इनके नराज होने पर कोई पूजा आपका भला नहीं कर सकती है ऐसा वरदान भगवान शिव व माँ पार्वती से माँ अशोका को प्राप्त है। इनकी  भक्ति का तरीका भी अलग है। महागुरु कुलदीप अशोका ही माँ अशोका शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर है। 

 

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