सुरभि न्यूज़
झन्डूता, बिलासपुर
गत दिवस कल्याण कला मंच बिलासपुर की मासिक संगोष्ठी ग्राम पंचायत बैहना जट्टा के गांव बैरी दडोलां के ऐतिहासिक ठाकुरद्वारा के प्रांगण में हुई। जिसकी अध्यक्षता मंच के प्रधान सुरेंद्र सिंह मिन्हास ने की जबकि मंच संचालन राकेश मिन्हास ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ सभी कवि-कवित्रियों द्वारा मां सरस्वती व काले बाबा की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित करके किया गया।
कला-कलम संगोष्ठी में आगाज वीना वर्धन ने हमें और जीने की चाहत ना होती अगर तुम ना होते की रचना से किया जबकि सहायक आचार्य लैफ्टिनेट डॉ. जय महलवाल ने हैनी खरा लगदा बरसाती रिया बरखा रा दडकया कने मौ बुढ़या रा छतरया हैनी खरा लगदा पहाड़ी कविता सुना कर सब का मन मोह लिया। अमरनाथ धीमान ने बरसाती रे पाणिया हुण पल भर रुकी जायां बरसात के मौसम पर अपनी रचना सुनाई जबकि तृप्ता कौर मुसाफिर ने बिना कसूर तो किसे नो ईदां न बोल बंदे डर बंदे डर बंदे माडया कम्मा तो डर बंदे कविता के माध्यम से नसीहत दी। चंद्रशेखर पंत ने मुझे बताया मेरी मां ने वह दुनिया में आज नहीं है होनी-अनहोनी के आलम इस जीवन में अंतहीन हैं अपनी कवित से माँ को याद किया जबकि सुरेंद्र सिंह मिन्हास ने एक शायर का सफर 65 साल की उम्र में ना जाने कहां चला गया बग्गू नीलू नलवाड़ी ते दो बच्छु खरीदे नीला नीलू कने चिट्टा बग्गू अपनी रचना से बिलासपुर के इतिहास सान्जा किया। सीता जसवाल ने प्रकृति का सौन्दर्य में कहा नदिया पहाड़ा पर्वता जंगला खड्डा नालया ने इस धरा जो बनाया जीव जंतु फूल पेड़ा ने सजाया इंसान भगवाने सब कुछ तिजो बनाया जबकि जगदीश सहोता ने ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने सारा कैलाश पर्वत मग्न हो गया भजन सुना कर भक्ति रंग में र्रंग दिया। विक्रमा देवी ने किरतपुर से मनाली बन रहे फोरलेन पर फोरलेना रा काम्म लगया ओ लोको हिल गई दुनिया सारी कविता सुनाई जबकि नरोत्तम धीमान ने कल्याण कला मंच द्वारा करवाई जा रही साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रम भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में होने चाहिए। रविंद्र चंदेल कमल ने लौ बुझ गई मत ये समझना अटल रहेगी नींव तुम्हारी अटल रहेंगे शब्द तुम्हारे अपनी रचना सुनाकर श्रोतायों को सोचने पर मजबूर किया जबकि राकेश मिन्हास ने शंकर मेरा प्यारा शंकर मेरा प्यारा भजन सुना कर भावविभोर किया। रिसल वर्धन ने मां मेरी प्यारी मां सबसे अच्छी सबसे न्यारी कविता सुना कर ममता के ममत्व को समझाया। अंत में मंच की महासचिव तृप्ता कौर मुसाफिर ने उपस्थित सभी महानुभावों का आभार व्यक्त किया।