संपादकीय : उत्तरकाशी में टनल में फंसे मजदूरों का जीवन कोई चमत्कार ही बचा सकता है

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सुरभि न्यूज़

भंगरोटू, सुंदरनगर

नरेंद्र भारती वरिष्ठ पत्रकार

बेशक सुरंग में फंसे मजदूरों क़े लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है लेकिन कामयाबी हासिल नहीं हो रही है। तमाम कोशिशे विफल होती जा रही हैं। ग़यारह दिन से 41 मजदूर जिंदगी व मौत क़े बीच झूल रहे मजदूर हैं। मजदूरों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस सुरंग का वह निर्माण कर रहे हैं उसी में कैद हो जाएंग। पाइप क़े जरीए उन्हें फल व अंडे व खाद्य सामग्री भेजी जा रही है। गनीमत है की मजदूरों क़ो खाद्य सामग्री मिल रही है नहीं तो आज तक भूख से ही मर जाते। 11 दिन व 11 राते कैसे निकली हैं यह मजदूर ही जानते होंगे। अभी पता नहीं कब तक जिंदगी की जंग लड़नी पड़ेगी। मजदूरों क़े परिजन खौफ में हैं कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाये। ड्रिलिंग मशीन बार बार खराब हो रही है। नई तकनीक की मशीने लाई जा रही है लेकिन रास्ता नहीं बन रहा है। अदृश्य शक्ति व चमत्कार ही मजदूरों का जीवन बचा सकता है। परिजन ईश्वर से रात दिन दुआ कर रहे हैं की उनके बच्चे जिन्दा बाहर निकल जाये। यह कोई पहला हादसा नहीं है पहले भी ऐसे हादसे हो चुके हैं और बेकसूर मजदूर मारे जा चुके हैं। एसजेवीएनएल की टीम से कुछ उम्मीद बँधी है इस टीम ने 2015 में हिमाचल क़े किरतपुर नेरचौक मनाली फोरलेन हाईवे की सुरंग में फंसे श्रमिकों क़ो बचा चुकी है। एसजेवीएनएल की टीम सिल्कयारा पहुंच चुकी है। हिमाचल में मजदूरों क़ो वर्टीकल ड्रिल से बचाया गया था वैसे ही यहाँ भी अभियान चलाया जायेगा ताकि मजदूरों क़ो बचाया जा सके। तीन मशीनों से कार्य शुरू किया जायेगा एक मशीन सिल्कयारा पहुंच चुकी है दूसरी मशीन रात तक पहुंच जाएगी और तीसरी मशीन आ रही है। मशीन सेटअप होने क़े दो से तीन दिन क़े भीतर करीब 90 मीटर ड्रिल करके मजदूरों क़ो सुरक्षित बाहर निकाल लेंगे। 2015 में एसजेवीएनएल ने 47 मीटर तक ड्रिल करके सुरंग में फंसे मजदूरों क़ो सुरक्षित बचा लिया था। क़ेन्द्र सरकार को इन हादसों क़ो समय रहते रोकने के लिए कारगर कदम उठाने होगें ताकि भविष्य में ऐसी दर्दनाक हादसों पर विराम लग सके। अगर अब भी सरकार ने लापरवाही बरती तो निदोर्ष लोग व मजदूर सुरंग में फंसते रहेंगे और बेमौत मरते रहेगें। ऐसे हादसो पर रोक के लिए पुख्ता इंतजाम किए जाए ताकि भविष्य में ऐसे दर्दनाक की पुनरावृति न हो सके। सरकार क़ो चाहिए की जितनी भी सुरंगे निर्माणाधीन हैं उनकी गुणवत्ता पर नजर रखी जाये ताकि भविष्य में ऐसे हादसों क़ो रोका जा सके। बीते हादसों से सबक लेना चाहिए तथा देश में चल रहे सुरगों के निर्माण में मजदूरों की सुरक्षा के उचित प्रबंध करने होंगे ताकि ऐसे हादसों से बचा जा सके। सतर्कता बररते हुए मजदूरों क़े हित सुरक्षित होने चाहिए, यह देशहित में होगा।

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