सुरभि न्यूज़ ब्यूरो
जोगिन्दर नगर, 03 अक्तूबर
- अभिभावक बनकर दो बेटियों की उच्च एवं व्यावसायिक शिक्षा का खर्च वहन कर रही सुख की सरकार
- चौंतड़ा ब्लॉक में 53 पात्र लाभार्थी चिन्हित, 39 को प्रतिमाह बतौर जेब खर्च मिल रहे 4 हजार
हिमाचल प्रदेश में सुख की सरकार निराश्रित एवं अनाथ बच्चों के उच्च एवं व्यावसायिक शिक्षा के सपने को साकार करने में मददगार साबित हो रही है। जोगिन्दर नगर उपमंडल में ही प्रदेश सरकार के आर्थिक सहयोग से जहां एक बेटी का नर्सिंग करने का सपना पूरा हो रहा है तो वहीं दूसरी बेटी कॉलेज में उच्च शिक्षा हासिल करने में कामयाब हो रही है।
बी.एस.सी. नर्सिंग का प्रशिक्षण हासिल कर रही बेटी मैहक ने उस वक्त अपने पिता को खो दिया था, जब वह मां के गर्भ में ही थी। भाग्य का खेल ऐसा कि जन्म के दो माह बाद अपनी मां को भी खो दिया। बिना मां-बाप के लाड-प्यार में पली बढ़ी मैहक की परवरिश उसके दादा-दादी ने ही की। लेकिन माता-पिता के न होने का दर्द तो केवल एक अनाथ बच्चा ही महसूस कर सकता है। लेकिन दादा-दादी ने भी कभी मां-बाप की कमी मैहक को महसूस नहीं होने दी। बेटी बड़ी हुई तो नर्सिंग जैसी व्यावसायिक शिक्षा हासिल करने का सपना संजोया। लाखों रुपये की फीस एवं अन्य खर्चे पूरा करना किसी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन ऐसे में प्रदेश की सुख की सरकार सीएम सुख आश्रय योजना के माध्यम से मददगार बन कर सामने आई है। मैहक की शिक्षा एवं अन्य खर्चों पर प्रदेश सरकार प्रति वर्ष एक लाख 22 हजार रुपये व्यय कर रही है।
इसी तरह की कहानी कॉलेज में बी.एस.सी. की शिक्षा हासिल कर रही कविता की है। कविता ने भी अपने पिता को उस वक्त खो दिया था जब वह भी मां के पेट में ही थी। जन्म के बाद मां ने बेटी को बड़े लाड़-प्यार में पालन पोषण शुरू ही किया था कि महज 5 वर्ष की आयु में मां का साथ भी छूट गया। मां-बाप के प्यार से वंचित हुई कविता का पालन पोषण दादा-दादी ने ही किया है। कविता बड़ी हुई तो उच्च शिक्षा हासिल करने का सपना संजोया। वर्तमान में कविता कॉलेज में बी.एस.सी. की शिक्षा हासिल कर रही है तथा प्रदेश सरकार प्रतिवर्ष बतौर शिक्षा खर्च 6 हजार 559 रुपये का अनुदान प्रदान कर रही है।
जीवन में मां-बाप की कमी तो कभी पूरी नहीं की जा सकती है, लेकिन अनाथ व निराश्रित बच्चों के सपने अधूरे न रह जाएं इसके लिये हमारी सरकार अवश्य मददगार साबित हो सकती है। इसी दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ते हुए प्रदेश की सुख की सरकार ने हजारों निराश्रित एवं अनाथ बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ का दर्जा प्रदान कर न केवल उनके जीवन में नए उमंग, नए उल्लास व नए रंग भरने का प्रयास किया है बल्कि जीवन में सपनों को हकीकत में बदलने में नए संचार का भी सूत्रपात किया है। प्रदेश में मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति करते हुए मैहक व कविता जैसे अनेक निराश्रित व अनाथ बच्चों को उच्च व व्यावसायिक शिक्षा प्रदान कर जीवन में स्थापित करने को निरंतर आगे बढ़ रही है।
बाल विकास परियोजना अधिकारी (सी.डी.पी.ओ.) चौंतड़ा बी.आर.वर्मा का कहना है कि चौंतड़ा ब्लॉक में सीएम सुख आश्रय योजना के तहत उच्च एवं व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए कुल चार लोगों को चिन्हित किया गया है। जिनमें से एक लाभार्थी को 1 लाख 22 हजार रुपये तथा दूसरे को 6 हजार 559 रुपये वार्षिक बतौर शिक्षा अनुदान प्रदान किये जा रहे हैं। इसके अलावा शादी अनुदान के लिये एक, वोकेशनल ट्रेनिंग को 2 तथा अपना कारोबार शुरू करने को एक लाभार्थी ने अपना आवेदन प्रस्तुत किया है।
उन्होंने बताया कि चौंतड़ा ब्लॉक में कुल 53 लाभार्थी चिन्हित किये गए हैं। जिनमें से 39 को प्रतिमाह 4 हजार रुपये बतौर जेब खर्च दिया जा रहा है तो वहीं 14 को फोस्टर केयर सेवा के अंतर्गत प्रतिमाह 25 सौ रुपये प्रदान किये जा रहे हैं जिसमें 500 रुपये बतौर आरडी तथा 2 हजार रुपये नकद शामिल है। इसके अलावा 18 से 27 वर्ष आयु वर्ग के लाभार्थियों को उच्च एवं व्यावसायिक शिक्षा के साथ-साथ गृह निर्माण व शादी अनुदान तथा जमीन न होने पर 3 बिस्वा भूमि भी उपलब्ध करवाई जा रही है।