सुरभि न्यूज
कुल्लू, 12 फरवरी
परम संत गुरु रविदास का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में माघ पूर्णिमा को वर्ष 1377 में हुआ था। इसी कारण से माघ पूर्णिमा की शुभ तिथि पर रविदास जयंती का पर्व हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। उनके पिता जूते बनाने का काम किया करते थे।
मात्र 12 वर्ष की आयु में रविदास का विवाह लोना देवी से कर दिया गया। उनका एक बेटा विजय दास था। गुरु रविदास का विश्वास था कि राम, कृष्ण, करीम, राघव आदि सब एक ही परमेश्वर के विविध नाम हैं। वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रन्थों में एक ही परमेश्वर का गुणगान किया गया है। कृष्ण, करीम, राम, हरि, राघव, जब लग एक न पेखा।
मीरा ने गुरु के बारे में कहा है कि बिना गुरु धारण किए भक्ति नहीं होती। भक्तिपूर्ण इंसान ही प्रभु प्राप्ति का भेद बता सकता है। वही सच्चा गुरु है। स्वयं मीरा के पद से पता चलता है कि उनके गुरु रैदास थे। इतिहासकारों अनुसार रविदास जी की मृत्यु करीब 1518 ईस्वी में वाराणसी में हुई थी। ये भारत के महान कवि-संत थे, जिन्होंने भक्ति आंदोलन में अहम योगदान दिया था।सवाल यह नहीं कि भगवान है कि नहीं, सवाल यह है कि आप इंसान है कि नहीं। साभार : प्रेम वाणी न्यूज़