सुरभि न्यूज़
प्रताप सिंह अरनोट, जोगिंदर नगर
जोगिन्दर नगर व कोटली को जोड़ने वाले कून का तर में नए पुल की स्वीकृति और इसका निर्माण कार्य आरंभ करने के लिए सड़क से लेकर विभाग तक और जिला परिषद से लेकर सरकार तक लंबा सफल संघर्ष करने के बाद जिला परिषद सदस्य कुशाल भारद्वाज ने एक बार फिर से निर्माणाधीन पुल की साइट पर पहुंच कर निर्माण कार्य का जायजा लिया। 21 महीने पहले ब्यास नदी में आई बाढ़ में पुल बहने के बाद से जनता की समस्याओं को सुनने तथा आवागमन को सुचारू करवाने के लिए सरकार व विभाग पर दवाब डालने के लिए ये उनकी 12वीं स्पॉट विज़िट थी। इस अवसर पर उनके साथ कमांडो नरेश धरवाल, सूबेदार सुंदर सिंह, पूर्व वार्ड सदस्य रूप लाल ठाकुर, कर्ण ठाकुर, हिम्मत राम ठाकुर आदि भी साथ रहे।
कुशाल भारद्वाज ने कहा कि डबल लेन पुल के बहने से पिछले 21 महीनों से हजारों लोग मुसीबत झेल रहे हैं। जो झूला लगाया गया था वह भी कई बार हवा में अटक जाता था और अब निर्माण कार्य के दौरान वह झूला क्षतिग्रस्त हो कर ढह गया तथा उसका आधा सामान चोरी हो गया और आधा जंग खा रहा है। इसी तरह पुराने पुल का एंगल आयरन एवं स्टील भी नदी और नदी के बाहर जंग खा रहा है।
मैंने अधिकारियों से कहा है कि पुल के मलबे एवं जरूरी स्टील को उठवाकर सुरक्षित रख लें, ताकि सरकारी संपति को बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि जिला परिषद की मीटिंग के दौरान भी उन्होंने अधिकारियों से कहा था कि जोगिंदर नगर वाले छोर पर भी पुल निर्माण कार्य शुरू करें तथा बरसात से पहले इसका निर्माण करें। इसी का निरीक्षण करने आज हम मौके पर गये थे। नदी के आर-पार आने-जाने के लिए जो पैदल चलने का रास्ता बनाया गया है वह काफी जोखिम भरा है, उसको ठीक किया जाए ताकि किसी भी दुर्घटना को टाला जा सके। राजाओं के टाइम के पैदल चलने वाले पुल में लकड़ी बिछवाकर इसे लोगों के चलने योग्य बनाया जाए, ताकि गर्मियों में ब्यास नदी में पानी बढ़ने पर भी लोग नदी के दोनों ओर आ-जा सकें।
कुशाल भारद्वाज ने कहा कि पुल का निर्माण कार्य शुरू हुए 4 महीने हो गए हैं, लेकिन निर्माण कार्य में तेजी लाने की जरूरत है। पुल का निर्माण कार्य शुरू होने के लिए समस्त जनता बधाई की पात्र है क्योंकि इसकी स्वीकृति और निर्माण कार्य शुरू करवाने के हर संघर्ष में समस्त जनता का हमें सहयोग मिला है। उन्होंने बताया कि पुराने पुल के बहने के बाद उन्होंने स्वयं मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यहाँ तुरंत ट्रैफिक ब्रिज के निर्माण और फौरी तौर पर बैली ब्रिज लगाने की मांग की थी। जिला परिषद की बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया था। लोगों को साथ ले जाकर किसान सभा के माधयम से भी मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिये थे और स्वयं भी कई बार घटनास्थल का दौरा किया था।
उन्होंने बताया कि जब लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने हमें सूचित किया था कि नदी की चौड़ाई ज्यादा होने से वैली ब्रिज नहीं लग पाएगा तो मंडी में अधिकारियों से मिलकर तथा जिला परिषद की मीटिंग में अधिकारियों के फिर से साइट का दौरा करने और वैकल्पिक पुल के लिए एस्टिमेट बनाने के लिए कहा था। इसके लिए जिला परिषद में सर्वसम्मत प्रस्ताव भी पारित किया गया। उसके बाद तत्कालीन अधिशाषी अभियंता और अन्य अधिकारियों ने फिर से साईट विजिट कर नया प्लान और एस्टिमेट बनाकर सेतु बंधन योजना के तहत डबल लेन पुल निर्माण का एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था और बैली सस्पेंशन ब्रिज बनाने का दूसरा प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था। केंद्र सरकार ने सेतु बंधन योजना के तहत पुल निर्माण के लिए पैसा मंजूर नहीं किया और राज्य सरकार को भेजे प्रस्ताव पर भी वित्त विभाग ने अड़ंगा लगा दिया था। जिसके बाद मैने इस मुद्दे को फिर से जिला परिषद में उठाया था तथा मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखी थी और लोक निर्माण मंत्री के चुनावी दौरे के दौरान उनसे इस पुल निर्माण कार्य हेतु धन स्वीकृत के लिए बात की थी।
कुशाल भारद्वाज ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा डबल लेन पुल निर्माण के लिए धनराशि स्वीकृत न करने से उन्हें निराशा भी हुई और राज्य सरकार को सस्पेंशन बैली ब्रिज के निर्माण के लिए जो 3 करोड़ 16 लाख रु .प्रस्ताव भेजा था उस पर लगातार आवाज उठा कर राज्य सरकार ने आखिर 2 करोड़ रुपया स्वीकृत कर धनराशि जारी की, जिससे इस पुल का निर्माण कार्य आरंभ हुआ, लेकिन पुल का निर्माण कार्य अभी सुस्त रफ्तार से चला है, जिस पर तेजी लाने की जरूरत है।